(राष्ट्रीय पुस्तकालयध्यक्ष दिवस विशेष आलेख – 12 अगस्त 2020)
नागपुर– पुस्तकालय ज्ञान का मुख्य स्रोत है और एक गुणवत्तापूर्ण मनुष्यबल और शिक्षित समाज के निर्माण में पुस्तकालय की महत्वपूर्ण भूमिका है। आज के युग में पुस्तकालय बहुत उन्नत हो गए हैं। घर बैठे इंटरनेट के माध्यम से किताबें और अन्य दस्तावेज़ एक क्लिक पर उपलब्ध हैं। ई-साहित्य (ई-पुस्तकें, दुर्लभ ई-ग्रंथ, ई-जर्नल, ई-डेटाबेस, ई-संदर्भ, संस्थागत रिपॉजिटरी, राष्ट्रीय रिपॉजिटरी, ई-जर्नल डेटाबेस, ई-प्रिंट संग्रह, पेटेंट और मानक, सबजेक्ट गेटवे, विद्यापीठ निर्देशिका, ओपन एक्सेस डाटा, ई-ग्रन्थसूची, इत्यादि) इस तरह के सभी साहित्य एक ऑनलाइन पुस्तकालय के रूप में उपलब्ध हैं। पुस्तकालय के पुस्तकालयध्यक्ष और संबंधित कर्मचारियों की भूमिका बहुत बढ़ गई है। ई-साहित्य हर पुस्तकालय का एक अनिवार्य हिस्सा बन गया है, लेकिन अब भी पुस्तकालय की ओर देखने का नज़रिया सकारात्मक नहीं है। देश के विद्यापीठ, आयआयटी, आयआयएम जैसे कुछ बडे संस्थान, कुछ बडे निजी संस्थानों के पुस्तकालयों, बडे शहरों के कुछ साधनसंपन्न पुस्तकालयों को छोड़कर, देश के हजारों पुस्तकालय अभी भी अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं।
यह कहा जाता है कि हमारा देश गाँवों में रहता है, लेकिन सबसे बुरी हालत यही के पुस्तकालयों की है। स्कूलों में पुस्तकालयों की स्थिति बहुत कमजोर है। प्रत्येक गाँव में पुस्तकालय यह अभियान चलाया गया, लेकिन क्या यह अभियान आज भी सौ फीसदी साकार हुआ? क्यु आज भी पुस्तकालय साहित्य और रखरखाव पर एक उचित राशि खर्च नहीं की जाती है? कई पुस्तकालय भवन खंडहर बन चुके हैं और कई पुस्तकालयों में कुशल कर्मचारी नहीं हैं। कई स्थानों पर वर्षों से भर्ती नहीं हुई है, तो कई पुस्तकालय चतुर्थ कर्मचारीवर्ग के भरोसे चल रहे हैं, कुछ स्थानों पर पुस्तकालय साहित्य के नाम पर कुछ समाचारपत्र दिखाई देते हैं जबकि पुस्तकालयों में पाठकों की संख्या लगातार बढ़ रही है। तो फिर किस प्रकार यहा पुस्तकालयो मे डॉ. एस. आर. रंगनाथन द्वारा दर्शाये गये फाईव लॉ का पालन किया जाता होगा? भारत में पुस्तकालय विज्ञान के जनक डॉ. एस आर रंगनाथन का जन्मदिन 12 अगस्त को पूरे देश में “राष्ट्रीय पुस्तकालय दिवस” के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने पुस्तकालय के हर क्षेत्र में बारीकी से काम किया है।
पुस्तकालयों का महत्व समझना जरूरी : –
निधी की कमी, जनजागृती की कमी, संस्थापकों और प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा उपेक्षा, उचित प्रबंधन की कमी, उच्च शिक्षित विशेषज्ञ कर्मचारियों की कमी और अन्य कारणों से, हमारे देश में पुस्तकालय की स्थिति आज भी संतोषजनक नहीं है। यदि हम आज की वास्तविकता को देखें, तो पुस्तकालयों को समृद्ध तरीके से समाज के विकास में भागीदारी होना चाहिए। समाज में सभी ओर यांत्रिक लाइब्रेरी, डिजिटल, वर्चुअल लाइब्रेरी होनी चाहिए यानी लाइब्रेरी में ऑनलाइन सेवाएं, नवनवीन यांत्रिकी संसाधन, उच्च शिक्षित कर्मचारी, कुशल प्रशिक्षण, सक्षम प्रबंधन, उचित बजट, सरकारी भागीदारी और अन्य बातें वैश्विक स्तर पर लाइब्रेरी के विकास को सफल बनाती हैं। देश में कही भी विकास के नाम पर कोई लीपापोती नहीं होनी चाहिए। सरकार को पुस्तकालय भर्ती पर विशेष ध्यान देना चाहिए और साथ ही पर्याप्त धन की आवश्यकता को पूरा करना चाहिए।विदेशों में पुस्तकालयों के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। वर्चुअल पुस्तकालयों का नेटवर्क हर जगह फैला हुआ है और पुस्तकालय सेवा में प्रति व्यक्ति बड़ी मात्रा में धन खर्च किया जाता है। हम इसकी तुलना में अत्यंत पिछड़े हुए दिखते हैं। इसकी तुलना में, हम पुस्तकालय में प्रति व्यक्ति सेवा के लिए धन का 1 प्रतिशत भी खर्च नहीं करते हैं। यह जरूरी है कि सरकार और संस्थान इस गंभीरता को जल्दी समझ लें।
पुस्तकालयध्यक्ष की भूमिका: –
पुस्तकालय में पाठकों को सर्वोत्तम सुविधाएँ प्रदान करना, और पाठकों के समय की बचत करके उचित मार्गदर्शन देना पुस्तकालयध्यक्ष का एक बहुत महत्वपूर्ण कार्य है क्योंकि पाठक पुस्तकालय में अपनी कुछ कठिनाइयों, आवश्यकताओं, अपेक्षाओं, उद्देश्यों के साथ आते हैं। पुस्तकालयध्यक्ष को कई विषयों का परामर्शदाता, कुशल शिक्षक, प्रबंधक, दूरदर्शी, शोधकर्ता, विश्लेषक, प्रौद्योगिकीविद और कई विषयों का ज्ञाता होना चाहिए क्योंकि पुस्तकालयध्यक्ष को ऐसी भूमिका निभानी होती है। दुनिया भर में नए ज्ञान का विस्फोट हो रहा है। इस तरह, पुस्तकालय के पुस्तकालयध्यक्ष को हमेशा नए ज्ञान को आत्मसात करने के लिए उत्सुक होना चाहिए और यह जानने की प्रवृत्ति होनी चाहिए कि हर क्षेत्र में क्या नई गतिविधियाँ हो रही हैं। पुस्तकालय के विकास के लिए समय की मांग के अनुसार, पुस्तकालयध्यक्ष को हमेशा अद्यतित रहना चाहिए, साथ ही पुस्तकालयध्यक्ष को हमेशा प्रयत्नशील, सकारात्मक सोच, सहकारिता, अनुशासित, समयनिष्ठ, कर्तव्यनिष्ठ और हमेशा परिवर्तनशील होना चाहिए।
पुस्तकालयों को फिर से खोलने पर कुछ महत्वपूर्ण सावधानियां अत्यावश्यक : –
सरकार द्वारा अनुमति मिलने पर सभी प्रकार के पुस्तकालय फिर से खोल दिए जाएंगे, लेकिन प्रत्येक पुस्तकालय के लिए सुरक्षा उपाय करना अतिआवश्यक है। इसलिए, पुस्तकालयध्यक्ष और संबंधित समिति के सदस्यों और कर्मचारियों को पहले कोविड -19 महामारी सुरक्षा पर एक नीति तैयार करनी चाहिए। पुस्तकालयों में कर्मचारियों के स्थान, समय, उपस्थिति का निर्धारण, पाठकों के लिए पुस्तकालय खोलने से पहले पुस्तकालय के सभी विभागों को सैनिटाइज करें, पाठकों का समय, उनकी संख्या, मास्क का नियमित रूप से उपयोग और हाथों को नियमित सैनिटाइज करना, सभी कर्मचारियों और पुस्तकालय में आने वाले पाठकों के शारीरिक तापमान और पल्स की जाँच की जानी चाहिए। फिलहाल बीमार पाठकों को पुस्तकालय में प्रवेश करने की अनुमति नहीं हो। सुरक्षित दूरी का पालन करें, यदि पाठनकक्ष का उपयोग अतिआवश्यक है तो, केवल सीमित पाठकों को बैठने की अनुमति दें। ऑनलाइन संसाधनों का उपयोग यथासंभव सर्वोत्तम है। जहां कर्मचारियों का पाठक से सीधा संपर्क होता है, ऐसे कर्मचारियों को अपने हाथों पर दस्ताने पहनने चाहिए। बुक एक्सचेंज विभाग के पास एक बुक रिटर्न बॉक्स रखें ताकि पाठकों द्वारा लौटाए गए पाठनसामग्री को सीधे उस बॉक्स में रखा जा सके, बाद मे बॉक्स को तीन दिनों के लिए अलग रखें और फिर पाठनसामग्री को सावधानीपूर्वक सेनीटाइज करने के बाद ही बुक रैक पर रखें। पुस्तकालय में वर्तमान परिस्थितीत में बंद प्रणाली का पालन करें। आज के समय में, वर्चुअल लाइब्रेरी सबसे महत्वपूर्ण हो गई है, ई-संसाधन यह समय, स्थान, दूरी, भौतिक उपस्थिति की आवश्यकता को समाप्त करता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सरकार द्वारा जारी किए गए सभी दिशा निर्देशों का सख्ती से पालन करें।
डॉ. प्रितम भिमराव गेडाम
(भ्रमणध्वनी क्रमांक- 082374 17041)
prit00786@gmail.com