नागपुर: नागपुर की चिलचिलाती गर्मी में बिना उचित व्यवस्था के काम करना अपने आप में किसी सजा के कम नहीं. फिर चाहे यह चुनौती किसी व्यक्ति को मिले या अधिकारी को. ग्रामीण परिवहन कार्यालय की नई इमारत बन चुकी है. काम भी पूरा हो चुका है, लेकिन अब उतने पासे नहीं बचे हैं कि टेस्ट ट्रेक के पास अधिकारियों की सुविधा के लिए कोई कमरा बनाया जाए. इससे इन दिनों अधिकारी नाराज चल रहे हैं. ऐसे में सरकार की तिजोरी में बड़ा राजस्व देनेवाले विभाग के अधिकारियों की इस तरह अवहेलना से नाराजी का माहौल बनता जा रहा है.
यहां सबसे बड़ी जगह , लायसेंस हो या पासिंग या फिर ट्रांसफर रोजाना हजारों लोग और हजारों वाहन यहां मौज़ूद रहते हैं. और इन सभी प्रक्रियाओं को पूरा करने के लिए उपलब्ध है महज कुछ ही अधिकारी. और यही अधिकारी रोजाना झुलसती और तपती धूप में छह से आठ घंटों तक लगातर खड़े रहने के लिए मज़बूर हैं.
विदर्भ और विशेष रूप से नागपुर में ख़तरनाक धूप में भी ग्रामीण परिवहन विभाग के मोटर वाहन निरीक्षक पदों पर स्थित सभी अधिकारी अत्यंत पीड़ा के साथ अपने कर्तव्य का पालन करने के लिये मज़बूर हैं. पासिंग हो या लायसेंस गाड़ियों की जांच और टेस्ट लेने की प्रक्रिया के लिए इन्हें बिना किसी छत या कमरे के कार्यालय के खुले प्रांगण में ही खड़ा किया जाता है. धूप बारिश और ठंड सभी मौसमों में यह अधिकारी बिना किसी संरक्षण के खुले में खड़े होकर ही अपने काम करते हुए दिखाई दे जाते हैं. टेस्ट के लिए लगने वाले सभी उपकरण भी उन्हें कार्यालय के मुख्य इमारत से ढोकर लाने पड़ते है और श्याम को वापस पहुंचाने पड़ते हैं. यह उपकरण आधुनिक होने के साथ ही महंगे भी हैं और परीक्षा स्थान पर इन्हें रखने की कोई व्यवस्था न होने के चलते अलग से यह मशक्कत और जिम्मेदारी भी अधिकारियों पर थोंपी जाती है. साथ ही कार्यालयीन दस्तावेज रखने के लिए न तो कमरा है और न ही कोई अलमारी या दराज. बस हाथ में कागजों के गट्ठे सम्भालते गिराते यह सभी अधिकारी दयनीय अवस्था में काम करते देखें जा सकते हैं.
परिवहन विभाग एक एसा विभाग है जो अपने आप में बड़े पैमाने पर अनसुलझा है. इस विभाग की कार्यप्रणाली जितनी सरल है उतनी ही जटिल भी. एक तरफ परिवहन अधिकारियों की काम करने की शैली पर रोजाना दोषारोपण होते रहते हैं वहीं यह भी हकीकत है कि वे समाज का अभिन्न अंग है और खुद को तकलीफ देकर जनहित में तपाने का हौसला भी यही अधिकारी रखते हैं.