नागपुर: किसानों को आय के स्त्रोत मजबूत करने के उद्देश्य से सत्तापक्ष गन्ने के खेती को नागपुर समेत पूर्वी विदर्भ में लगातार प्रेरित कर रही है. तो दूसरी ओर एम्प्रेस सिटी मॉल के सामने लगने वाला विदर्भ का सबसे बड़ा और करोड़ों का गन्ना मार्केट प्रशासन द्वारा किसी तरह की सुविधा नहीं किए जाने के चलते आज भी सड़क पर ही लग रहा है. इतने वर्षों में भी गन्ने के लिए स्थायी मार्केट नहीं होने से व्यापारियों के साथ-साथ गन्ना उत्पादकों को बहुत अधिक तकलीफों और आए दिन अतिक्रमण उन्मूलन की कार्रवाई का सामना करना पड़ता है. जिसके चलते कई बार विभाग द्वारा गन्नों को जब्त भी कर लिया जाता है. कार्रवाई के कारण नुकसान भरपाई भी नहीं हो पाती. यहां पर बाजार 4 दिन सोमवार, बुधवार, गुरुवार और रविवार को लगता है. गन्ना उत्पादकों व व्यवसाय के हितार्थ सत्तापक्ष की निष्क्रियता से नाराज हो गए हैं गन्ना व्यवसायी.
१०० वर्ष पुराना अस्थाई बाजार :- गन्ना व्यापारी के अनुसार यहां करीब 100 वर्षों से भी अधिक समय से मार्केट लगते आ रहा है. इतने वर्षों में सरकार ने कभी कोई स्थानीय जगह नहीं दी. यहां पर साप्ताहिक बाजार के दिन 40 से 50 ट्रक माल आता है. गन्ना उत्पादकों को खुले में और गन्नों की नीलामी करनी पड़ती है. बड़ी राशि में लेन-देन होता है. सुरक्षा और सुविधा के नाम पर यहां पर कुछ नहीं होने से हमेशा लुटेरों और अतिक्रमण कार्रवाई का डर बना रहता है. यहां पर मार्केट लगाने वालों का सबसे बड़ा दुश्मन तो प्रशासन ही बना हुआ है, जिसने कई बार मार्केट के लिए आश्वासन दिया, लेकिन कभी पूरा नहीं किया. प्रशासन ही कहता है कि जब तक स्थायी व्यवस्था नहीं होती, तब तक यहां पर व्यापार करो और ऊपर से अतिक्रमण कार्रवाई कर लूटा जाता है. प्रशासन की इस दोगली नीति से गन्ना व्यापारी परेशान हो गए हैं. वर्ष 1998, 2000, 2005 और 2008 में भी गन्ना उत्पादकों के मार्केट के लिए स्थायी व्यवस्था करने के लिए डिमांड की जा चुकी है.
बाजार के दिन ५० ट्रक आता है माल :- अभी कुछ ही दिन पहले प्रवर्तन विभाग के दस्ते ने गन्ना बाजार में अतिक्रमण कार्रवाई कर 2 ट्रक का लाखों का माल जब्त किया था. व्यापारियों के अनुसार जब प्रशासन ही हम लोगों के बारे में नहीं सोचता तो हम लोग कहां पर जाएंगे. आज यह विदर्भ का सबसे बड़ा मार्केट है. यहीं से हर जगह गन्ना सप्लाई होता है. प्रशासन को इस गन्ना मार्केट की पहचान को बरकरार रखते हुए एक अच्छे सुविधाजनक मार्केट का निर्माण करना चाहिए. मार्केट के दिन यहां पर 40 से 50 ट्रक गन्नों की आवक होती है. यहां पर मार्केट लगने से यातायात में बाधा उत्पन्न होती है, तो प्रशासन को स्वयं ही सोचना चाहिए. गन्ना उत्पादक ही यहां पर लाकर अपना माल बेचते हैं, लेकिन आज इनकी हालत एक हॉकर्स से कम नहीं रह गई.
व्यवसायियों के आंदोलन की ओर बढ़ते कदम :- गन्ना उत्पादक व व्यापारी तिलक कमाले, आनंदराव, हमीद मिजार, अकबर मिर्जा, तेजराम ढेंगे और काले गन्ने के उत्पादक नीलेश्वर गवते, वामनराव देवतले, लक्ष्मणराव दांडेकर सहित अन्य ने प्रशासन से मांग की है कि इस तरह की अतिक्रमण कार्रवाई को नहीं रोका जाता और स्थायी मार्केट के लिए विचार नहीं किया जाता है, तो तीव्र आंदोलन किया जाएगा. मार्केट में सावनेर, परसोड़ी, उबाड़ी, खानगांव, अकोला, अमरावती, नगर, यवतमाल, दरव्हा, सिंधी दिग्रस, वर्धा, अंजनगांव, परतवाड़ा, जामसावली, कुही मांडल, जाम कांद्री, औरंगाबाद और नाशिक से गन्ना उत्पादक गन्ना लेकर आते हैं. इतने दूर से गन्ना लाने के बाद इस तरह की कार्रवाई के चलते बहुत अधिक नुकसान का सामना करना पड़ता है.