नागपुर : नवरात्रि की उपासना विशेष महत्व रखती है. नवरात्र पर्व का महत्व बताते हुए प्रज्ञायोगी दिगम्बर जैनाचार्य श्री गुप्तिनन्दी जी गुरुदेव ने नवरात्रि के प्रथम दिन शनिवार को धर्मतीर्थ में कहा जो एक से दूसरे को जोडें उसे पर्व कहते हैं ।जैसे हमारी हथेली के ऊपर पर्व होते हैं ।या गन्ने में गाँठ होती है उसे भी पर्व कहते हैं ।इसी प्रकार जो आत्मा को परमात्मा से जोड़े ।इंसान को इंसान से जोड़े । *जो व्यक्ति को धर्म, परिवार, समाज ,देश और विश्व से जोड़े उसे पर्व,महोत्सव या त्यौहार कहते हैं* । पर्व मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं ।
पहला नित्य, त्रैकालिक शाश्वतीक पर्व जैसे अष्टमी ,चौदश,अष्टान्हिका ,दशलक्षण, सोलहकारण ,रत्नत्रय आदि । दूसरे नैमित्तिक पर्व। जो किसी निमित्त से आये उसे नैमित्तिक पर्व कहते हैं ।नैमित्तिक पर्व भी धार्मिक, आध्यात्मिक, राष्ट्रीय सामाजिक ,आदि अनेक प्रकार का होता है इसमें महावीर जयंती आदि धार्मिक पर्व है ।दीपावली धार्मिक व आध्यात्मिक पर्व है ।पन्द्रह अगस्त व छब्बीस जनवरी स्वतन्त्रता व गणतंत्र दिवस राष्ट्रीय पर्व है ।होली आदि सामाजिक पर्व है । नवरात्रि एक धार्मिक और सामाजिक पर्व ।यह पर्व भी गहराई से देखें तो यह त्रैकालिक पर्व है और इसकी शुरुआत मूलतः जैन धर्म से हुई है ।
*व्रत कथा कोष* के अनुसार सभी चक्रवर्ती आश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक शक्ति संचय के लिए नौ दिन चौबीस तीर्थंकर की महापूजा करते हैं ।और उनके यक्ष, यक्षिणी को यज्ञाञश दान देकर सम्मानित करते हैं और शक्ति संचय करके दशमी को दिग्विजय करने निकलते हैं इसलिए वह विजयादशमी कहलाती है ।अपनी धार्मिक व आर्थिक शक्ति बढ़ाने के लिए पूरे वर्ष की आराधना एक तरफ और नवरात्रि की उपासना विशेष महत्व रखती है ।लेकिन नवरात्रि के नाम पर पशुओं की बलि चढ़ाना सर्वथा अनुचित है महापाप है ।इसी प्रकार नवरात्रि के नाम पर रागोत्पादक अश्लील नृत्य करना , या बच्चों के सामने जोड़े से गरबा करना ।फिल्मी गानों पर गरबा नृत्य करना सर्वथा गलत है ।यह समय और शक्ति का अपव्यय है ।इससे पुण्य की जगह महान पाप का ही बंध होता है ।सर्वे के अनुसार नवरात्रि के दिनों में ही लड़कियों के साथ सबसे अधिक दुष्कर्म आदि होते हैं ।
लड़कियां घर से भगा ली जाती हैं इत्यादि अनेक अनैतिक काम होते हैं ।आप सभी सावधानी रखें ।धर्म के नाम पर होने वाले ऐसे अनैतिक कार्यों से अपने परिवार को बचायें । स्वयं भी पाप नहीं करें बल्कि प्रयत्न पूर्वक भगवान की आराधना करें ।नवरात्रि में नव तीर्थंकरों की उनके यक्ष यक्षिणी की आराधना करें ।नवग्रह शांति महामण्डल विधान करें ।धर्मतीर्थ पर नवरात्रि के उपलक्ष्य में नवग्रह शांति महामण्डल विधान की वर्चुअल आराधना होने जा रही है ।आप सभी उसमें घर बैठे शामिल होकर पुण्यार्जन करें ।शनिवार को नवरात्रि के नवग्रह शांति विधान के प्रथम दिन श्री रवीन्द्र सुरेन्द्र नीलेश पंकज पीयूष खडकपुरकर परिवार देवलगाँवराजा के द्वारा धर्मतीर्थ पर झंडारोहण से महोत्सव का शुभारंभ किया गया ।ततपश्चात ऑनलाइन श्री इच्छा पूरक आदिनाथ भगवान व शांतिनाथ भगवान का पन्चामृत अभिषेक ,महाशान्तिधारा श्रीमती मिलन, अमित, सुनिधि, गुणी, तन्वी, दिशी, राजश्री जैन, नितिन, वैशाली, आनंद, अर्चना, संतोष, अर्चना, अंकुर, रांची, यश, श्रद्धा नखाते, विजय, प्रमोदिनी, सन्मति, चेरी, नमन, मयूर, सुरभि जैन, दिलीप, नीता घेवारे, अविनाश, संगीता, स्मृति जैन, वैशाली, सुभाष, सायली, सानिया, साहिल, खोत, बालिकदेवी, शांतिलाल, सुरेखा, प्रशांत, ऐश्वर्या, सौंदर्या, नित्यम साहूजी, वसंतमाला, विनोद, पुष्पदंत, स्वतिश्री, अभिनंदन, प्रियंका, पराग, नव्या साहूजी, संगीता, भरत, सुमित, पायल, अध्याय साहूजी, जैन ग्रुप, राजश्री, शशांक, दीपिका, रोहन, तेजल, अनिरुद्ध जिंतुरकर, शशि, अनिल, सुनीता, प्रतीक, नेहा, रोहित, प्रिंसी छाबड़ा, श्रीमती कलावती, शरद, पूनम, हर्षल, राज, अर्चना पाटनी, श्रीमती विजयाबाई कैलाश, सुनीता, महिमा, अजित, कीर्ति पहाड़िया आदि सौधर्म इन्द्रों द्वारा की गई ।आज प्रथम दिन नेमिनाथ भगवान के ज्ञानकल्याणक व राहुग्रह के अरिष्ट निवारण हेतु श्री नेमीनाथ भगवान का विधान किया गया ।कल रविवार को सूर्य ग्रह के अरिष्ट निवारण हेतु श्री पद्मप्रभु भगवान का विधान किया जायेगा ।आचार्य श्री ने आव्हान किया कि जिन परिवारों में पिता पुत्र के संबंध अच्छे नहीं है।पेट की समस्या रहती है।व्यापार में मनवांछित सफलता नहीं मिल रही है वे कल अपनी ओर से यह विधान अवश्य करायें और परिवार सहित इस विधान में अवश्य बैठें ।