Published On : Tue, Apr 4th, 2017

ये हैं वो राज्य जहां गौहत्या पर बैन नहीं!

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नागपुर: भारत में गौवंश को बचाने के लिए तरह तरह की उपाय योजनाओं के साथ -साथ सख्त कानून पारित किए जा रहे हैं. उत्तरप्रदेश में तो इसी मुद्दे पर घमासान मचा हुआ है, वहीं गुजरात में भी गौहत्या पर उम्रकैद की सजा का प्रावधान भी किया गया है. हाल ही में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कहा है कि यदि उनके राज्य में कोई गौहत्या में लिप्त पाया गया तो उसे लटका दिया जाएगा। जहां गाय की सुरक्षा को लेकर कुछ राज्यों में बवाल मचा हुआ है वहीं आपको जानकर हैरानी होगी कि बहुत से राज्य ऐसे भी हैं जहां गौहत्या पर कोई पाबंदी नहीं है।

लंबी है लिस्ट
केरल, पश्चिम बंगाल, असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, त्रिपुरा, सिक्किम और एक केंद्र शासित राज्य लक्षद्वीप में गौहत्या पर किसी तरह की कोई पाबन्दी नहीं है. हालांकि भारत अधिकृत कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र ,छत्तीसगढ़ और दो केंद्र शासित राज्य दिल्ली और चंडीगढ़ में गौहत्या एक गंभीर अपराध की श्रेणी में रखा गया है.

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गुजरात में होगी उम्रकैद
अब गुजरात में पारित हुए नए कानून के मुताबिक गौहत्या करनेवाले लोगों को उम्र कैद की सजा हो सकती है. इस अधिनियम के तहत किसी भी आदमी को गौमांस (बीफ) ले जाने पर भी उम्र कैद की सजा हो सकती है. इसके अलावा बीफ लाने -ले जाने और गाय काटने पर एक लाख रुपए से पांच लाख रुपए तक का जुर्माना हो सकता है. नया संशोधन अधिनियम आने वाले शनिवार यानी 8 अप्रैल से लागू किया जाएगा.

किस राज्य में कैसी सजा
– गुजरात में एक लाख रुपए से पांच लाख रुपए तक का जुर्माना और उम्र कैद तक की सजा
– हरियाणा में एक लाख रुपए का जुर्माना और 10 साल की सजा का प्रावधान किया.
– महाराष्ट्र में गौहत्या पर 10 हजार रुपए का जुमानर््ाा और 5 वर्ष की जेल की सजा है.
– छत्तीसगढ़ के अलावा इन सभी राज्यो में भैस के काटे जाने पर कोई रोक नहीं है.

गौमांस निर्यात में अब भी आगे भारत
भारत में अब भी 29 में से 11 राज्य ऐसे है जहां गाय, बछड़ा, बैल, सांड, और भैस को काटने पर और उनका गोश्त खाने पर कोई पाबन्दी नहीं है. बाकी 18 राज्यो में गौहत्या पर पूरी या आंशिक रोक लगी हुई है. भारत देश की 80 प्रतिशत से ज्यादा आबादी हिन्दू है. जिनमें ज्यादातर लोग गाय को पूजते हैं, लेकिन यह भी एक सच है की दुनियाभर में बीफ का सबसे ज्यादा निर्यात करनेवाले देशों में से एक भारत भी है.

कोई केन्द्रीय कानून नहीं
दरअसल ‘बीफ’, बकरे, मुर्गे और मछली के गोश्त से सस्ता होता है. इसी वजह से यह गरीब तबकों के बीच यह रोज के भोजन का हिस्सा बना हुआ है. खासतौर पर कई मुस्लिम, ईसाई, दलित, और आदिवासी जनजातियों के बीच. गौहत्या पर कोई केंद्रीय कानून नहीं है पर अलग अलग स्तर पर रोक दशकों से लागू है.

आंशिक प्रतिबंध भी लागू
आंशिक प्रतिबंध आठ राज्यो में बिहार, झारखंड, ओडिशा, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिल नाडु, कर्णाटक, गोवा और चार केंद्र शासित राज्यो -दमन और दीव, दादर और नागर हवेली, पॉंडिचेरी , अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में लागू है. असम और पश्चिम बंगाल में जो कानून हैंै उसके तहत उन्हीं पक्षुओ को काटा जा सकता है. जिन्हें ‘फिट फॉर स्लॉटर सर्टिफिकेट ‘ मिला हो. यह उन्हीं पक्षुओ को दिया जा सकता है. जिनकी उम्र 14 साल से ज्यादा हो, या जो प्रजनन या काम करने के काबील ना रहे हो.

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