नागपुर: एक तरफ सरकार शिक्षा की ओर अग्रसर होने और अनिवार्य शिक्षा मुफ्त शिक्षा की बात करती है लेकिन वहीं दूसरी ओर परीक्षा फीस के नाम पर विद्यार्थियों से हजारों रुपए लिए जा रहे हैं. जो सरकार की दोहरी नीति को दर्शाती है. नागपुर के मेडिकल कॉलेज में कुछ ही दिनों में यूजी और पीजी के विद्यार्थियों की परीक्षा है. जिसके लिए विद्यार्थियों को परीक्षा फीस के तौर पर पीजी और डिप्लोमा के विद्यार्थियों को 13 हजार 770 रुपए फीस देनी है.
तो वहीं पीजी -डीएमएलटी के विद्यार्थियों को कुल मिलाकर 9970 रुपए परीक्षा फीस 12 मार्च तक मेडिकल कॉलेज के प्रशासनिक अधिकारी के नाम से डीडी बनाकर देनी होगी. दोनों विद्यार्थियों की फीस में परीक्षा फी, कैप फी, एग्जाम फॉर्म फी, पासिंग सर्टिफिकेट फी और डिग्री सर्टिफिकेट फी शामिल है. जानकारी के अनुसार 2 साल पहले पीजी और यूजी के विद्यार्थियों की फीस साढ़े छह हजार रुपए के करीब थी. लेकिन अब केवल दो वर्षों में ही फीस को डबल कर दिया गया है. इस बार करीब यूजी (अंडर ग्रेजुएट ) 1000 विद्यार्थी और पीजी (पोस्ट ग्रेजुएट ) के करीब 350 विद्यार्थी परीक्षा देनेवाले हैं. इतनी ज्यादा फीस होने के कारण आर्थिक तौर से गरीब विद्यार्थियों को काफी मुसीबतो का सामना करना पड़ रहा है. लेकिन बेखबर राज्य सरकार और केंद्र सरकार केवल अपनी तिजोरी भरने के बारे में ही सोच रही है.
इस बारे में नाराजगी जताते हुए पोस्ट ग्रेजुएट विद्यार्थी डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि सरकार की ओर से इतनी ज्यादा फीस ली जा रही है. जो गलत है. शर्मा ने कहा कि सरकार को परीक्षा लेने के लिए आखिर इतने रुपयों की जरूरत ही क्यों पड़ती है. सरकार के इस निर्णय से गरीब विद्यार्थियों के साथ ही सभी विद्यार्थियों को परेशानी हो रही है. सरकार मुफ्त शिक्षा की बात तो करती है लेकिन मनमाने तौर से फीस भी वसूलती है. शर्मा ने कहा कि इस फीस के साथ ही कॉलेज की साल की फीस भी भरनी होती है. जो विद्यार्थियों को देने में काफी कठिनाई होती है.
महाराष्ट्र एसोसिएशन ऑफ़ रेसिडेंट डॉक्टर के सेक्रेटरी डॉ. लाजपत अग्रवाल ने भी अपनी नाराजगी जाहिर की है. उन्होंने बताया कि फीस भरने के लिए अभी कोई आर्डर नहीं आया है. फीस को लेकर मार्ड के वरिष्ठ डॉ. और सदस्य डीएमईआर ( डायरेक्टरेट ऑफ़ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च) से चर्चा की जा रही है.
परीक्षा फीस को लेकर हॉस्पिटल के डीन डॉ. अभिमन्यु निसवाड़े से कई बार संपर्क किया गया, सन्देश भेजने के बाद भी उन्होंने कोई प्रतिसाद नहीं दिया. जिसके बाद मेडिकल कॉलेज के डेप्युटी डीन डॉ. अशोक मदान से बात की गई इस बारे में मदान ने कहा कि सरकार फीस तय करती है. एनयूएचएम (द नॅशनल अर्बन हेल्थ मिशन) और डीएमईआर फीस तय करती है. उन्होंने कहा कि फीस कम करने को लेकर मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल के डीन ही इन दोनों के संचालकों से बात कर सकते हैं. बात करने के बाद ही कुछ हल निकल सकता है.