Published On : Thu, Jan 3rd, 2019

Video: बाघिन अवनि मामला : शूटर के खिलाफ बिना नाम और धारा की एफआईआर दर्ज की गई है – संगीता डोगरा

Advertisement

दिल्ली से नागपुर आई एनिमल एक्टिविस्ट और वन विभाग में अनबन

नागपुर: बाघिन अवनि मामले में बिना नाम और बिना धारा की एफआईआर दर्ज की गई है. शफ़त खान और असगर अली पर जब कोई इल्जाम ही नहीं है तो वे क्यों आएंगे. एक पीओआर के लिए एक ही धारा लगाई जा सकती है. यह सनसनीख़ेज़ भरा खुलासा दिल्ली से आई एनिमल एक्टिविस्ट संगीता डोगरा ने नागपुर टुडे से खास बातचीत के दौरान किया. बाघिन अवनि शूटआउट में शूटर पर किन किन धाराओं को लगाया गया है यह जानने के लिए वे वन विभाग से लगातार संघर्ष कर रही है. गुरुवार को भी जब वे वन बल प्रमुख से इस संबंध में मिलना चाहा तो कहा सुनी हो गई और वनबल प्रमुख ने उसे पुलिस के हवाले कर चलता कर दिया.

Today’s Rate
Fri18 Oct. 2024
Gold 24 KT 77,700 /-
Gold 22 KT 72,300 /-
Silver / Kg 92,800 /-
Platinum 44000/-
Recommended rate for Nagpur sarafa Making charges minimum 13% and above

बाघिन अवनि के शूटआउट का मामला शहर के साथ देश भर में गूंजा. जिसके कारण यह मामला काफी संवेनदशील हो चुका है. संगीता डोगरा अवनि का शिकार करनेवाले शिकारी असगर अली पर कार्रवाई की मांग कर रही हैं. लेकिन नागपुर के वन भवन में उच्च अधिकारी उनके सवालों से बचने के लिए एक दूसरे पर मामले की जिम्मेदारी डाल रहे हैं.

Advertisement

बक़ौल संगीता, वे बुधवार को सिविल लाईन के वन विभाग के मुख्यालय वन भवन में हेड ऑफ़ फॉरेस्ट फ़ोर्स उमेश अग्रवाल से मिलने पहुंचीं. जहां अग्रवाल और उनके बीच काफी कहा सुनी हुई. इस मामले को लेकर अवनि को मारे जाने में अनियमितता को लेकर ‘ नागपुर टुडे ‘ ने उनसे बातचीत की. जिसमें संगीता ने बताया कि मैं अवनि मामले में वन विभाग के चक्कर लगा रही हूं. लेकिन अधिकारियों की ओर से कोई प्रतिसाद नहीं दिया जा रहा है. पूरी तरह से अवनि मामले को दबाने का प्रयास किया जा रहा है.

बुधवार को वे इस मामले में शूटर असगर अली के खिलाफ कौन सी धाराएं लगाई गई है इसकी जानकारी लेने के लिए वन भवन पहुंची थीं. जहां पर हेड ऑफ़ फॉरेस्ट फ़ोर्स के उमेश अग्रवाल से उन्होंने इस मामले में जानकारी मांगी. इस बात को लेकर अग्रवाल काफी भड़क गए और उन्होंने काफी बेरुखी और गलत तरीके से उन्हें डाटा और पुलिस आयुक्त से बात कर पुलिस बुलवाई. जिसके बाद उन्हें पुलिस स्टेशन ले जाया गया.

इसके बाद एक्टिविस्ट ने बताया कि उन्होंने पुलिस को अवनि मामले के बारे पूरी जानकारी दी. जिसके बाद पुलिस ने भी इस मामले में उनका सहयोग किया. उन्होंने बताया कि नागपुर में उन्हें 20 से 21 दिन हो चुके हैं. अवनि मामले को लेकर वन विभाग के अधिकारियों का रवैय्या अजीब सा हो जाता है. डाक्यूमेंट्स में दिखाया गया है कि मृत बाघिन जबकि उसे शूट किया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने यह नहीं कहा था कि पूरे कानून तोड़कर उसे मार डालिए .

अवनि को रात में मारा गया था. मैं इसलिए सभी अधिकारियों से मिल रही हूं कि कोई भी यह न कहे हमसे पूछा नहीं गया था. उन्होंने कहा कि वो अधिकारी मिश्रा से मिलने गई थी. उनको बताया गया कि वे रिटायर हो गए हैं. उसके बाद मुझे बताया गया कि उमेश अग्रवाल से मिलिए. मैं उनसे 3 दिन से मिलने की कोशिश कर रही थी. लेकिन मुझसे कहा जा रहा था कि वे ऑफिस में नहीं है. जब मैं अग्रवाल से मिली तो उन्होंने मुझसे पूछा कि रिपोर्टर हो. मैंने बताया कि रिपोर्टर नहीं हूं. एक आम इंसान हूं. अवनी के बारे में जानना चाहती हूं. डाक्यूमेंट्स पढ़ना चाहती हूं. यह सुनते ही उन्होंने मुझसे सीधे कहा बाहर जाओ. मैंने उनसे कहा कि जिसमें आरोप लगाया है उसमे कोई धारा नहीं लगाई गई है. मैंने उनको समझाने की बहुत कोशिश की. लेकिन उन्होंने बहुत ही गलत तरीके से कहा बाहर जाओ.

उन्होंने मुझे कहा कि यह चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन का काम है. उन्होंने मुझे बेइज्जत किया तो मुझे रोना आ गया. मैंने यह सोचा नहीं था कि इतने बड़े अधिकारी इस तरह का व्यवहार करेंगे. उसके बाद पुलिस आई और उसके बाद मैंने वूमेन एंड चाइल्ड डेवलपमेंट को मेल किया.

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को भी मेल लिखा. पुलिस ने किसी भी तरह की तकलीफ नहीं दी. वन विभाग ने उन्हें तकलीफ दी है. पुलिस का व्यवहार काफी अच्छा था और वे समझ गए कि मैं सही हूँ. एक्टिविस्ट ने बताया कि पुलिस ने उनसे कहा कि आप लिखित में शिकायत दीजिए हम उन पर कार्रवाई करेंगे. एक्टिविस्ट का कहना है कि जो फाइल मुझे नागपुर में मिल सकती है उसके लिए मुझे नागपुर का वन विभाग वणी और यवतमाल भेज रहा है. जो काम यहां हो सकता है उसके लिए मुझे दूसरे शहरों में भेजा जा रहा है. उन्होंने अवनी मामले को लेकर वन विभाग पर काफी नाराजगी जाहिर की.

इस पूरे मामले में फॉरेस्ट फ़ोर्स के हेड उमेश अग्रवाल से बातचीत की गई तो उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि भले ही वे यहां के मुख्य हैं, लेकिन यह मामला ( वाइल्डलाइफ ) के अधिकारी के अधीन आने की वजह से उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी. लेकिन एक्टिविस्ट सुनने को तैयार नहीं थी. लेकिन एक्टिविस्ट ने खुद ही हंगामा खड़ा कर दिया.