Published On : Fri, Jul 6th, 2018

पुलिस बंदोबस्त में किसानों की ज़मीन बिल्डर को हुई हस्तांतरित – अशोक चव्हाण

Advertisement
Ashok Chavan

File Pic

नागपुर: राज्य में सामने आये ज़मीन घोटाले मामले में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने सीएम देवेंद्र फडणवीस को घेरा है। चव्हाण का कहना है की उन्हें इस मामले की विस्तार से जानकारी उनके पास नहीं है फिर भी प्रकल्प पीड़ितों को सरकार द्वारा आवंटित ज़मीन रातोंरात बिल्ड़र को हस्तांतरित हो जाना गंभीर बात है। ऐसा कोई मामला उनके कार्यकाल में उनके सामने नहीं आया। पुलिस बंदोबस्त में ज़मीन का हस्तांतरण हो जाना बिना सरकार की सहमति से नहीं हो सकता।

इस मामले की जाँच होनी चाहिए। गुरुवार को ही कांग्रेस द्वारा लगाए गए आरोपों का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने नेता प्रतिपक्ष के इस्तीफे की माँग की इस पर पूर्व मुख्यमंत्री का कहना है की लोकतंत्र में इस्तीफा माँगा जा सकता है लेकिन सत्ता को और सरकार के प्रमुख को लोकतांत्रिक व्यवस्था का पालन करना चाहिए। विपक्ष संदेह व्यक्त कर रहा है तो उसका समाधान करना चाहिए। चव्हाण शीतकालीन अधिवेशन के दौरान विधानपरिषद चुनाव को लेकर गुरुवार को नागपुर में थे और नागपुर प्रेस क्लब द्वारा आयोजित प्रेस से मिलिए कार्यक्रम में अपनी बात रखी।

उन्होंने मुख्यमंत्री फडणवीस के कार्यकाल को परफॉर्मेंस के हिसाब से सामान्य के भी कम बताया। उनके मुताबिक इस सरकार के कार्यकाल के दौरान सबसे ज्यादा किसान वर्ग प्रभावित हुआ है। जो घोषणाएं हुई उन पर अमल नहीं हुआ। नतीजन किसान आत्महत्या का सिलसिला अब भी जारी है। विपक्ष द्वारा लगाए जा रहे आरोप सिर्फ आलोचना तक सीमित नहीं है लेकिन हकीकत में जो काम होने चाहिए थे वो हुए नहीं। खरीफ़ की फ़सल की बुआई शुरू हो चुकी है लेकिन कर्ज का वितरण महज 18 प्रतिशत हुआ है। बैंकों को सरकार कितना भी आदेश दे उससे कुछ नहीं होता उन पर आरबीआय के नियम चलते है। बैंको में सामने आये लोन फ्रॉड की वजह से उनकी निर्णय लेने की क्षमता ख़त्म हो गई है। सिर्फ घोषणाएं नहीं सरकार को मॉनिटरिंग करनी चाहिए थी।

Gold Rate
15April 2025
Gold 24 KT 93,500/-
Gold 22 KT 87,000/-
Silver / Kg - 95,800/-
Platinum 44,000 /-
Recommended rate for Nagpur sarafa Making charges minimum 13% and above

आलोचना के साथ हम सरकार को सुझाव देने को तैयार है। केंद्र सरकार ने फसलों पर बोनस का ऐलान किया है वह धोखा है। राज्य में कर्ज के बदले किसान परिवार की महिलाओ से शारीरिक सुख की माँग हो रही है। राज्य में कानून और सुरक्षा व्यवस्था भी अहम मुद्दा है। मुख्यमंत्री के अपने शहर में बीते 100 दिनों में 63 ख़ून हुए है। ऐसा तब हो रहा है जब गृह विभाग की जिम्मेदारी राज्य के प्रमुख के पास है। कर्जमाफ़ी का चुनावी प्रलोभन के तौर पर सरकार ने किया इस्तेमाल किया। जिसका अनुभव गोंदिया में चुनाव के दौरान सामने आया। चुनाव के समय किसानों को कर्जमाफी के पैसे दिए गए। ये सिर्फ प्रलोभन और चुनावी फ़ायदे के लिए किया गया।

आगामी चुनाव में साथ आयेगे समविचारी पक्ष
कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष ने कहाँ की उनके दल का प्रयास होगा की आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव में एक सामान सेक्युलर विचारों के दल साथ आये। कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस साथ चुनाव लड़ेगी दोनों दलों के प्रमुखों के साथ जल्द बैठक होने की जानकारी भी उन्होंने दी। चव्हाण के मुताबिक भारिप बहुजन महासंघ,बसपा,शेकपा,स्वाभिमानी किसान पार्टी जैसे ऐसे लगभग 10 दलों को मिलाकर महागठबंधन बनाने का प्रयास किया जा रहा है। इस सभी दलों का राज्य की हर सीट में प्रभाव है। कांग्रेस में फ़िलहाल संगठनात्मक कार्य चल रहे है। पार्टी में गुटबाजी को लेकर चव्हाण ने कहाँ की हर दल में वैचारिक मतभेद रहता है ठीक उसी तरह उनके दल में भी है। अंत में पार्टी के भीतर सब कांग्रेसी ही है।

ठाकरे वरिष्ठ लड़ेंगे आगामी चुनाव
विधान परिषद से पूर्व प्रदेशाध्यक्ष माणिकराव ठाकरे का टिकिट काँटे जाने के सवाल पर चव्हाण ने कहाँ ठाकरे पार्टी के वरिष्ठ नेता है। दो बार राज्य में पार्टी के प्रमुख रह चुके है वो मेरे भी वरिष्ठ है। ठाकरे आगामी चुनाव लड़ेंगे। चुनाव कौन का होगा ये उनको तय करना है।

प्लाटिक बंदी तुगलकी फ़रमान
चव्हाण ने राज्य में प्लास्टिक बंदी को तुगलकी फरमान करार दिया है। उनका कहना है की ऐसा नहीं है की वो इसके विरोध में है लेकिन किसी भी फैसले को लेने से पहले सरकार को गंभीरता से विचार करना चाहिए। हजारों लोगो का रोज़गार और निवेश इस व्यवसाय से जुड़ा हुआ है। मेक इन इंडिया,मेक इन महाराष्ट्र के दौरान में लोगो से रोजगार छीना जा रहा है। ये सरकार निर्णय कर लेती है उसके बाद रोज जीआर निकालकर उसमे बदलाव करती है। सरकार को कोई फैसला लेने से पहले उसके पर्याय की व्यवस्था करनी चाहिए।

सत्ता के लिए लाचार शिवसेना
मुख्यमंत्री की प्रेस में उद्योगमंत्री को बोलने नहीं दिया जाता इससे साफ़ होता है की शिवसेना सत्ता के लिए किस हद तक लाचार हो चुकी है। नाणार प्रकल्प को लेकर शिवसेना विरोध दर्ज करा रही है जबकि सरकार कंपनी के साथ क़रार कर लेती है।

Advertisement
Advertisement