नागपुर: सरकारी स्कूल में अव्यवस्थाओ के बीच विद्यार्थियों की पढ़ाई तो हो ही रही है. कई स्कूल की व्यवस्था या तो बहुत खराब है या फिर कहे कि ठीक है. लेकिन एक ही रूम में दो क्लास के बच्चों को पढ़ाने का अनोखा तरीका यह न तो आपने सुना होगा और न ही देखा होगा. इस अनोखे शिक्षा प्रयोग के लिए तो मनपा के शिक्षा विभाग को पुरस्कार से सम्मानित भी करना चाहिए. गोकुलपेठ हिंदी प्राथमिक शाला की स्कूल की यही हकीकत है. एक ही रूम में दो क्लास के विद्यार्थियों के कारण दोनों ही विद्यार्थियों की पढ़ाई का पूरे तरीके से नुकसान हो रहा है. और इसके लिए नागपुर महानगर पालिका का शिक्षा विभाग ही जिम्मेदार है. स्कूल में केवल तीन ही रूम है. नर्सरी से लेकर 5वीं तक के विद्यार्थी यहां पढ़ते हैं. विद्यार्थियों की संख्या 43 है और इन्हे पढ़ाने के लिए 3 शिक्षक है. तीन रूम होने की वजह से एक रूम में एक साइड के बेंचों पर एक क्लास के विद्यार्थियों को पढ़ाते हैं तो वहीं एक ही समय पर दूसरे साइड के बेंचों पर दूसरे क्लास के बच्चों को पढ़ाते हैं.
क्लास में आधे ब्लैकबोर्ड पर दो शिक्षिकाएं अपने अपने क्लास के विद्यार्थियों को पढ़ाती हैं. यानी एक क्लास के विद्यार्थी तो डिस्टर्ब होंगे ही साथ ही इसके दूसरे भी बच्चे डिस्टर्ब होंगे. रूम की कमी की वजह से पिछले डेढ़ साल से यह अनोखी पढ़ाई इस स्कूल में बदस्तूर चल रही है. अब इस तरह से पढ़ाई करनेवाला पांचवीं के विद्यार्थी किस तरह से पढ़ेगा और उसके ही रूम में बैठा हुआ तीसरी क्लास का विद्यार्थी किस तरह से पड़ेगा. यह बड़ा और अहम् सवाल है. स्कूल में मनपा के शिक्षणाधिकारी दौरे पर तो आते ही हैं. लेकिन उन्हें यह दिखाई नहीं देता. शिक्षिकाओं से बात की गई तो उन्होंने बताया कि रूम की कमी होने की वजह से ही वरिष्ठ मनपा के अधिकारियों ने यह निर्णय लिया है.
विद्यार्थियों के लिए सुविधा और स्कूल की व्यवस्था
स्कूल की इमारत काफी पुरानी है. स्कूल के आधे भाग में रामनगर की मराठी स्कूल के बच्चे पढ़ते हैं और आधे भाग में इस स्कूल के बच्चे. विद्यार्थियों के लिए शौचालय और पीने के पानी की व्यवस्थाएं ठीक हैं. क्लासरूम में बेंच ठीख ठाक है. लेकिन क्लास में लगे हुए ज्यादातर पंखे खराब हो चुके हैं. कुछ ही दिनों में गर्मियां शुरू हो जाएगी ऐसे में क्लास में बिना पंखे के बैठना अपने आप में सजा साबित होने लगेगी. स्कूल में एक विकलांग चपरासी है, जो चपरासी के साथ कभी साफ सफाई का भी काम करता है. स्कूल की इमारत पुरानी होने की वजह से जमीन से बारिश के दिनों में पानी निकालता है.
लेकिन मनपा ने कभी भी इस स्कूल की मरम्मत करने के बारे में विचार नहीं किया. स्कूल के क्लासरूम की दीवारें भी कमजोर हो चुकी हैं. कभी भी विद्यार्थियों के साथ गंभीर हादसा हो सकता है. स्कूल के कंपाउंड में गटर का पानी बहने की वजह से गन्दा पानी स्कूल के बाहर बहता है. जिसके कारण विद्यार्थियों को बिमारी का खतरा भी बना रहता है. स्कूल में चार साल पहले करीब 10 कंप्यूटर दिए गए थे. लेकिन पिछले चार वर्षों से स्कूल में एक भी कंप्यूटर नहीं है. स्कूल की शिक्षिकाओं को स्कूल से जुड़े कामों के लिए भी बाहर जाकर कंप्यूटर का उपयोग करना पड़ता है. बावजूद इसके विद्यार्थियों की संख्या बढ़ाने के उद्देश्य से शिक्षिकाएं घर घर जाकर बच्चों के परिजनों से मिलकर बच्चों के एडमिशन स्कूल में कराने को लेकर मना रही हैं. इस सत्र में 6 विद्यार्थी बढ़ने की बात भी शिक्षिका ने बताई है.
तमाम मुश्किलों के बाद भी शिक्षिकाएं बना रही विद्यार्थियों का भविष्य
स्कूल में शिक्षकों की संख्या तो ठीक है. लेकिन विद्यार्थियों की संख्या काफी कम है. स्कूल की प्रिंसिपल प्रेरणा मुलकलवार छुट्टी पर होने की वजह से शिक्षिका इंदु कड़वे ने जानकारी दी. उन्होंने बताया कि पहले जब दोनों स्कूलें एक साथ थीं तो ज्यादा कमरे थे. तब सभी क्लास अलग अलग कमरों में होती थी. लेकिन अब एक ही रूम में दो क्लास होती है. स्कूल के विद्यार्थियों की कम होती संख्या के बारे में उन्होंने बताया कि ज्यादातर मजदूरों के बच्चे होने की वजह से वह कुछ ही दिनों में अपने गांव लौट जाते हैं. इसलिए विद्यार्थियों की संख्या कम है. साथ ही इसके इंग्लिश मीडियम स्कूल के कारण भी विद्यार्थी कम हो रही है और सबसे बड़ा कारण उन्होंने बताया कि गरीब तबकों के बच्चों को भी लगता है कि उन्हें भी स्कूल बस घर तक लेने आए अगर उनके लिए स्कूल बस लगाई जाए तो विद्यार्थियों की संख्या बढ़ सकती है. उन्होंने बताया कि कुछ विद्यार्थियों के लिए उन्होंने अपने खर्च पर ऑटो भी लगाया था.
—शमानंद तायडे