नागपुर: आरटीओ से वाहनों को वितरित किया जानेवाला वाहन क्रमांक हर वाहनों के िलए विशिष्ट होने का दावा किया जाता है। लेकिन एक ही नंबर प्लेट की दो दोपहिया वाहन शहर में दौड़ने का खुलासा तब हुआ जब बिना हेलमेट पहने वाहन चलाने को लेकर हेमंत मांडवेकर के घर चालान पहुंच गया। 25 नवंबर को शाम चार बजे एलआईसी चौक में हरे रंग की प्लेजर टूवीलर में टोपी पहने शख्स की फोटो ड्यूटी पर तैनात एएसआई बेडवार ने खींची। गाड़ी पर दर्ज नंबर के आधार पर रजिस्टर्ड एड्रेस पर चालान हुडकेश्वर रोड महात्मा गांधी नगर -2 के प्लाट नंबर 119 पर पहुंच गया। इस मकान में मिलिंद मांडवकर अपने परिवार के साथ रहते हैं।
वाहन नंबर सही था लेकिन वाहन छह महीने से घर पर ही खड़ा होने से आश्चर्य होने लगा। जब मिलिंद ने ट्राफिक पुलिस विभाग से संपर्क साधा तो खींची गई फोटो और उनकी फोटो दोनों का मिलाप कराया गया। यहां दोनों वाहनों का रंग अलग अलग होने का खुलासा हुआ। चालान वाला वाहन हरे रंग की प्लेजर थी जबकि मिलिंद की गाड़ी काले रंग की। इसके बाद पुलिस यातायात विभाग ने मिलिंद को आरटीओ में वाहन किसके नाम रजिस्टर है यह जानने के िलए भेजा। वहां भी वाहन क्रमांक के आधार पर गाड़ी का इंजन और चेसिस नंबर मिलिंद के दिखाए गए गाड़ी के पेपर से मेल खाए। इससे यह बात पुष्ट हो गई कि वाहन घर में रखा वाहन मिलिंद का है। और चालान में दिखाई दे रहा वाहन अलग है।
इसकी पुष्टी आरटीओ कार्यालय से होते ही मिलिंद फिर से ट्राफिक पुलिस विभाग पहुंचा जहां आरटीओ से पुष्टि किए जाने के बाद उसके चालान को रद्द किया गया। मिलिदं ने कहा कि वाहन उनके पिता स्व. भइयाजी मांडवेकर के नाम पर है। उनके पिता यह गाड़ी चलाया करते थे। लेकिन 2014 में ही उनकी मौत हो गई थी। इसके बाद गाड़ी बहुत कम चली है। छह माह से तो गाड़ी घर पर ही खड़ी है। ऐसे में चालान आने पर एक ही नंबर की दो गाड़िया होने का अहसास हो गया था। लेकिन इसकी अधिकारिक पुष्टि करना भी जरूरी था।