नागपुर- सीपी एंड बेरार से लेकर केलीबाग़ सड़क चौड़ाईकरण के कारण नागपुर महानगर पालिका की ओर से महाल तुलसीबाग़ परिसर में वर्षो से रहनेवाले नागरिकों के घर ढहाए गए. इसके बाद बारिश के कारण खुले में रखा घरों का सामान भी भीग गया. पीढ़ी दर पीढ़ी अपने आशियानें उजड़ने की वजह से यहां रहनेवाले नागरिकों में काफी काफी नाराजगी और रोष है. इन्होने पुनवर्सन की मांग नागपुर प्रशासन और राज्य सरकार से की है.
इस दौरान नागरिकों ने बताया की हमको घर तोड़ने से पहले किसी भी तरह का नोटिस नहीं दिया गया था. अचानक कार्रवाई की गई. जिसके कारण हमारे घरों में रखे उपकरण का नुक्सान हो गया है. नागरिकों का कहना है की जिनके भी घर तोड़े गए है, वो अब दूसरी जगह घर नहीं ले सकते, क्योकि इनकी आर्थिक परिस्थिति अच्छी नहीं है.
नागरिकों का कहना है की वे पिछले 50 साल से अधिक समय से इस जगह रह रहे थे. लेकिन अब अचानक से इनके घर अतिक्रमण विभाग की ओर से तोड़े गए है. नागरिकों का कहना है की एक दिन पहले हमको प्रशासन की ओर से सामान खाली करने के लिए कहा गया था. नागरिकों का कहना है की जब अतिक्रमण विभाग वाले आये तो हमने उनसे मिन्नतें की और पैर भी पड़े, उनसे निवेदन किया की कुछ मोहलत हमें दी जाए, क्योंकि परिवार है में बुजुर्ग लोग और छोटे छोटे बच्चे भी है. लेकिन उनकी ओर से किसी भी तरह का सज्ञान नहीं लिया गया.
नागरिकों ने अपना दुःख जताते हुए बताया की इस कोरोना महामारी में हमें घर से निकालना और हमारे घर तोडना कहां का न्याय है.
क्या सड़क चौड़ाईकरण के लिए लोगों को बेघर करना सही है ?
जहां एक ओर से देश में कोरोना का संक्रमण बढ़ रहा है. नागपुर शहर में भी रोजाना सैकड़ो मरीज पॉजिटिव पाए जा रहे है. कोरोना संक्रमण के कारण लोगों के काम बंद हो चुके थे, अभी कुछ दिनों से अनलॉक होने के बाद बड़ी मुश्किल से गरीब लोग अपना घर चला पा रहे है. ऐसे में सड़क चौड़ाईकरण के लिए किसी के आशियाने को गिरा देना, कहा का न्याय है ?