नागपुर: नागपुर शहर में मोहर्रम मनाया गया. इस दौरान मोमिनपुरा में जुलुस में सैकड़ो लोग शामिल हुए. इस दौरान मुस्लिम लोगों ने जुलुस में मातम मनाया. इस्लाम धर्म के नए साल की शुरुआत को मुहर्रम के तौर पर जाना जाता है. इससे तात्पर्य है कि मुहर्रम का महीना इस्लामी साल का पहला महीना होता है. मुस्लिम समुदायों में इस दिन का ख़ास महत्व होता है.
इस्लाम के चार पवित्र महीनों में मुहर्रम के महीने को भी शामिल किया जाता है. मोहर्रम खुशियों कात्यौहार नहीं बल्कि मातम और आंसू बहाने का महीना है. मोहर्रम माह के दौरान शिया समुदाय के लोग मोहर्रम के 10 दिन काले कपड़े पहनते हैं. वहीं अगर बात करें मुस्लिम समाज के सुन्नी समुदाय के लोगों की तो वह मोहर्रम के 10 दिन तक रोज़ा रखते हैं.
मोहर्रम के दौरान काले कपड़े पहनने के पीछे हुसैन और उनके परिवार की शहादत को याद करना है. इस दिन हुसैन की शहादत को याद करते हुए सड़कों पर जुलूस निकाला जाता है और मातम मनाया जाता है.
मोहर्रम के दौरान लोग कर्बला के युद्ध की कहानी सुनते हैं. संगीत, शोर-शराबे से दूर रहते हैं. किसी भी खुशहाल अवसरों पर नहीं जाते. इसके साथ ही जुलूस के दौरान वे नंगे पैर चलकर विलाप करते हैं. इस दौरान कुछ लोगों के अपने आपको खून निकलने तक जख्मी भी किया. इस दिन मुसलमान घरों-मस्जिदों में इबादत करते हैं.