Published On : Sun, Feb 25th, 2024
By Nagpur Today Nagpur News

हिंदी के विकास में VNIT भी निभा रही है अहम भूमिका

राजभाषा के उत्थान में तकनीकी संस्थान का योगदान
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कहते हैं,गंगा गंगोत्री से निकल कर कलकल निनाद करती लाखों करोड़ों लोगों के जीवन को सिंचित और संवर्धित करती है।

समान स्थिति भाषा के क्षेत्र में हिंदी की भी है।हिंदी भाषा अपनी मिठास,लालित्य और मानवीय संवेदनाओं और भावनाओं की सफ़ल संवाहिका और उनके प्रेषण एवं संप्रेषण का सरल और सहज माध्यम है.हिंदी अनुरागी सभी लोग न केवल देश में,बल्कि विदेश में भी हिंदी को पल्लवित – पुष्पित करने में अपना भरसक योगदान कर रहे हैं.इस प्रयास में सरकारी कार्यालय, सार्वजनिक उपक्रम ,और विभिन्न निगम एवं शिक्षण संस्थान भी अपनी भूमिका बख़ूबी निभा रहे हैं.

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देश के हृदय-स्थल ,संतरा नगरी ,नागपुर में एक प्रतिष्ठित तकनीकी शिक्षण संस्थान है-विश्वेश्वरय्या राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान यानि Visvesaraya National Institute of Technology,जो VNIT के नाम से भी लोकप्रिय है.यह देख कर सुखद आश्चर्य होता है कि इस तकनीकी संस्थान में भी राजभाषा हिंदी के विकास और विस्तार में यहां के लोग लगे हैं.

त्रैमासिक ,अर्धवार्षिक कार्यक्रमों और राजभाषा सप्ताह या पखवाड़ा के नियमित आयोजनों के इतर भी इस VNIT का एक बड़ा योगदान है – “राजभाषा प्रेरणा ” नामक पत्रिका का प्रकाशन.इसका 19वां वार्षिकांक हाल ही में प्रकाशित हुआ है.इसमें इंस्टीट्यूट की रूटीन गतिविधियों के साथ,पूर्वनिर्धारित विषयों : राजभाषा दर्पण,संस्थान दर्पण,साहित्य दर्पण, वसुधैव कुटुम्बकम ,जनसंख्या नियोजन,अंतरिक्ष अनुसंधान में भारत की उपलब्धियां और अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष पर संस्थान में कार्यरत कर्मियों ने अपनी सधी हुई लेखनी चलाई है.निदेशक डॉ पी एम पडोले की रहनुमाई और राजभाषा कार्यान्वयन समिति के कार्याध्यक्ष एवं डीन (संकाय कल्याण) डॉ आर आर येरपुडे के मार्गदर्शन में डॉ भारती एम पोलके की मेहनत इस पत्रिका में स्पष्ट दिखाई देती है.डॉ सारिका बहादुरे,डॉ अर्घ्य मित्रा और श्री अक्षय कालेश्वरवार की कल्पनाशीलता आवरण-पृष्ठ में दिखती है.

श्रीमती विजया देशमुख और डॉ भारती पोलके द्वारा हिन्दुस्तानी शास्त्रीय परम्परा के शीर्ष क्रम की कलाकार पद्मभूषण डॉ प्रभा ताई अत्रे का साक्षात्कार प्रस्तुत अंक का विशेष आकर्षण है,ख़याल,ठुमरी,दादरा,ग़ज़ल,गीत-नाटक,संगीत,भक्ति-गीत की गायिका और अभिनेत्री के रूप में भी डॉ अत्रे सुख्यात हैं.

सारांश यह कि VNIT जैसे तकनीकी शिक्षण संस्थान भी राजभाषा हिंदी को बढ़ावा देने में अपना योगदान करते हुए अहम भूमिका निभा रहे हैं.

सत्येंद्र प्रसाद सिंह

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