गोंदिया। कोरोना वायरस से मचे हाहाकार के बीच गोंदिया मेडिकल कॉलेज और जिला केटीएस हॉस्पिटल में लापरवाही का एक बहुत बड़ा मामला सामने आया है , वायरल वीडियो मई 2024 के प्रथम सप्ताह का बताया जाता है , जिसमें पीपीई किट , दास्तानों और मास्क का उपयोग करते हुए अस्पताल के महिला और पुरुष सफाई कर्मी , मेडिकल कचरे को जलाने , जहरीले कचरे को त्यागने का एक विकल्प खोज रहे हैं , महामारी के दौरान अस्पताल के छत पर जमा हुए खतरनाक मेडिकल कचरे को ठिकाने लगाने के लिए हर संभव प्रयास करते यह सफाई कर्मचारी दिखाई पड़ते हैं।
बता दें कि बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स के तहत देश में मेडिकल कचरे को आमतौर पर भाप द्वारा निष्फल किया जाता है जिसे आटोक्लेव के रूप में भी जाना जाता है।
अगर कोई शासकीय अस्पताल अपने कचरे के इलाज का खर्च नहीं उठा सकता तो उन्हें मेडिकल कचरे के निपटान के लिए शासकीय फंड उपलब्ध कराया जाता है जिससे ठेकेदारों को फीस का भुगतान किया जाता है , लेकिन कोविड महामारी के दौरान संक्रमित कचरे ( बायोमेडिकल वेस्ट ) के निपटान की प्रक्रिया को नजरअंदाज करते हुए इस खतरनाक मेडिकल कचरे को बड़ी-बड़ी लाल, काली नीली झिल्लियों में भरकर अस्पताल के छत पर जमा किया गया था ऐसे में अस्पताल की असमर्थता के कारण मरीजों के स्वास्थ्य समस्या को खारिज नहीं किया जा सकता ?
जानकारों की मानें तो कोविड महामारी से निकले इंजेक्शन , दवाइयां , मृत मरीजों के कपड़े , गद्दे चादर, दस्ताने ,पीपीई किट , मास्क इस कोविड वेस्ट की हैंडलिंग समय रहते नहीं की गई , चिकित्सा और संक्रमण कचरे की बढ़ी हुई मात्रा से वायु प्रदूषण और खराब हो रहा था , जिसे आखिरकार अस्पताल की छत से उतार कर पुराने पोस्टमार्टम गृह के पास ठिकाने लगाने हेतु प्लास्टिक थैलियों में जमा किया गया।
ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या विगत ढाई वर्षो से केवल कागजों पर ही मेडिकल वेस्ट नष्ट हो रहा था ?
आखिरकार इन सबों के लिए जिम्मेदार कौन है ? इसकी जांच होना बहुत जरूरी है क्योंकि यह मामला सीधे तौर पर विगत दिनों अस्पताल में भर्ती मरीजों के स्वास्थ्य से किए गए खिलवाड़ का है।
क्या इस दौरान कागजों पर ही नष्ट हो रहा था बायोमेडिकल वेस्ट ? वायरल वीडियो से खुली पोल , जांच जरूरी
रवि आर्य