नागपुर: गत सप्ताह वेकोलि के नार्थ वणी क्षेत्र अंतर्गत उकनी खदान से कोयला चोरी का मामला नागपुर टुडे ने अपने पोर्टल पर प्रकाशित किया था. साथ ही यह भी संभावना जताई थी कि वेकोलि प्रबंधन जांच के नाम पर लीपापोती कर मामला दबाने की कोशिश कर सीएमडी को बचाने की जुगत लगाएगा.
हुआ भी ऐसा ही. उक्त मामला के सार्वजनिक होते ही वेकोलि प्रबंधन के रोंगटे खड़े हो गए. वेकोलि के विजिलेंस विभाग प्रमुख ने आनन-फानन में विभाग प्रमुख की नज़र में ढीले-ढाले अधिकारी-कर्मी की एक टीम बनाकर शनिवार को उकनी खदान रवाना किया. जबकि विजिलेंस विभाग में 4 से 5 ऐसे ‘सिंघम’ अधिकारी हैं जिनकी जांच ने कईयों को पानी पिला दिया. इन्हें दरकिनार कर मामला दबाने के लिए अन्य को भेज गया.
सूत्र बताते हैं कि इन्हें नागपुर में ही निर्देश दे दिया गया था कि घोटाले को घोटाला न दर्शाया जाए. अगर ऐसा करने से सीएमडी के दामन पर छींटा पड़ेगा तो गजब हो जाएगा. लिहाजा मामले को नया मोड़ देकर ठंडा करने का निर्देश दिया गया. वेकोलि विजिलेंस टीम उकनी खदान दोपहर को पहुंची, जिसमें एक लोकल अधिकारी भी था. वह कभी वहीं तकनीकी विभागत में तैनात था. लेकिन उन्होंने शिकायतकर्ता को अवगत नहीं किया. इस खदान में और क्षेत्र के मेहमान गृह में 4 से 5 घन्टे गुजारे फिर लगभग 6 बजे शाम नागपुर की ओर लौट गए. इस बीच शिकायतकर्ता स्थानीय इंटक नेता आबिद हुसैन ने उनसे संपर्क किया तो उन्होंने जानकारी देने से मना किया. कहा कि नागपुर कार्यालय में आने पाए जानकारी मिलेगी.
समझा जाता है कि तकनीकी खराबी को दर्शाकर नार्थ वणी के सीजीएम, खदान प्रबंधक, पीटीसी ट्रांसपोर्टर और खरिदार रिलाएंस पावर को बचाने की कोशिश जारी है.
वेकोलि की आर्थिक हालात इतनी ख़राब है कि वेकोलि में चल रहे किराए के स्कूल बस संचालकों को २-२ माह से मासिक किराया नहीं मिला है. नागपुर क्षेत्र में स्कूल बस के लिए निकले टेंडर में विवादास्पद बालाजी समूह ने दो नामों से टेंडर भरे और कागजात उलट पलट कर लगाए जाने की सूचना मिली है. याने अंधेर नगरी चौपट राजा वाली कहावत वेकोलि प्रबंधन पर फ़ीट बैठ रही है.