Published On : Thu, Dec 27th, 2018

वेकोलि की सबसे बड़ी परियोजना “पैनगंगा” से बढ़ेगा कम्पनी का कोयला – उत्पादन

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वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (वेकोलि) की अब सबसे बड़ी परियोजना ” पैनगंगा ” से कम्पनी कोयला- उत्पादन में वृद्धि के प्रति काफ़ी आशान्वित है। उल्लेखनीय है कि, हाल ही में वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से प्राप्त त्वरित अनुमोदन के बाद अब इस प्रोजेक्ट की वार्षिक उत्पादन – क्षमता 4.5 मिलियन टन से बढ़ कर 6.3 मिलियन टन हो गयी है। इसी तरह, उमरेड क्षेत्र की उमरेड परियोजना भी 4.9 मिलियन टन उत्पादन हेतु तत्पर है। 3.5 मिलियन टन क्षमता वाली इस परियोजना को भी वन-पर्यावरण मंत्रालय से 4.9 मिलियन टन उत्पादन की अनुमति मिल गयी है। इन दोनों परियोजनाओं में कोयला-उत्पादन वृद्धि से वेकोलि न केवल अपना लक्ष्य प्राप्त कर सकेगी, बल्कि अपनी स्थापना से अब तक की अवधि में पहली बार उससे बडा कीर्तिमान भी बनायेगी।

यह मिशन डब्ल्यूसीएल : 2.0 के तहत टीम वेकोलि के सामूहिक प्रयत्नों से ही संभव हो पाया है।

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कम्पनी की ग्रीनफील्ड परियोजना पैनगंगा का शुभारंभ 4.9 मिलियन टन क्षमता के साथ मार्च 2015 में हुआ था। फ़ास्ट ट्रैक मोड में कार्य के कारण महज़ दो वर्ष की अवधि में इस परियोजना से आगे और विस्तार की संभावना के साथ 80% उत्पादन की उपलब्धि एक रिकॉर्ड है। आगे और वृद्धि के मद्देनज़र, परियोजना की क्षमता वर्तमान वित्तीय वर्ष में 4.5 से बढ़ा कर 6.3 मिलियन टन कर दी गयी है।

वणी क्षेत्र के पैनगंगा की टीम इस वर्ष 6.3 मिलियन टन से अधिक उत्पादन के लिए कृत संकल्प है।इस तरह, सर्वाधिक बड़ी परियोजना की मदद से वणी क्षेत्र वेकोलि के उत्पादन में 13.9 मिलियन टन का योगदान करेगा।

2011 में आम्ब नदी का बांध टूट जाने से हुए भारी जल-प्लावन के कारण पूर्णतः ध्वस्त उमरेड परियोजना को बड़ा झटका लगा था। उमरेड क्षेत्र के कर्मियों के दृढ़ निश्चय और कड़ी मेहनत का सुखद प्रतिफ़ल, सिर्फ़ दो वर्ष के रिकॉर्ड समय में, आम्ब नदी की धारा को सफलतापूर्वक मोड़ने के रूप में सामने आया। इससे उमरेड खदान को नया जीवन मिला और वर्ष 2017-18 के दौरान यहां से 3.5 मिलियन टन कोयला उत्पादन हो सका। उत्पादन की और गुंजाइश के आलोक में, वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से प्राप्त अनुमति से यह खदान इस वर्ष अब तक का सर्वाधिक उत्पादन 4.9 मिलियन टन करने की पूरी तैयारी कर चुकी है। 2011 के हादसे के बाद उमरेड क्षेत्र की इकलौती खान मकरधोकडा-2 से प्रति वर्ष 1 मिलियन टन कोयला उत्पादन हो पा रहा था। लेकिन, पिछले तीन वर्षों में, तीन ग्रीनफील्ड परियोजनाओं; मकरधोकडा-1, गोकुल और दिनेश के खुलने से इस साल यहां से 12 मिलियन टन कोयला-उत्पादन अपेक्षित है। इस प्रकार, उमरेड को वेकोलि का दूसरा सबसे बड़ा क्षेत्र होने का गौरव प्राप्त है।

इसका ज़िक्र यहां प्रासंगिक है कि, पिछले चार वर्षों के दौरान, 6321 करोड़ रुपये की लागत से वेकोलि ने 20 खदानें खोलने का कीर्तिमान बनाया, जिनसे वर्तमान वित्तीय वर्ष में कम्पनी 32 मिलियन टन कोयला उत्पादन कर सकेगी। अगर पिछले चार साल में ये खदानें नहीं खोली जातीं तो वेकोलि का उत्पादन-स्तर सिमट कर 19-20 मिलियन टन तक ही रह जाता क्योंकि इन वर्षों में पुरानी खदानों की क्षमता तेजी से घटती जा रही थी।

चालू वित्तीय वर्ष में कम्पनी का कोयला-उत्पादन एवं प्रेषण का लक्ष्य क्रमशः 52.5 तथा 59.7 मिलियन टन है। ताज़ा स्थिति के अनुसार, वेकोलि दोनों ही मोर्चों पर आगे चल रही है। मिशन वेकोलि: 2.0 का सकारात्मक असर एवं कम्पनी की बुनियादी आवश्यकताओं की सघन मोनिटरिंग से वेकोलि अपने स्थापना-काल से अब तक के सर्वाधिक उत्पादन एवं प्रेषण के प्रति आश्वस्त है। टीम भावना और सबकी सामूहिक कोशिश के मद्देनज़र, लक्ष्य-प्राप्ति से आगे रिकॉर्ड बनाने की दिशा में अग्रसर वेकोलि न केवल उत्पादन, प्रेषण के साथ वित्तीय मोर्चे पर भी बेहतर प्रदर्शन के प्रति आशान्वित है।इससे कम्पनी और ज़्यादा उत्पादन के साथ अपने उपभोक्ताओं को अधिक कोयला आपूर्ति कर सकेगी।

लगातार पिछले दो वित्तीय वर्ष कंपनी के लिए असहज रहे। किंतु, इस वर्ष की पहली दो तिमाही में वित्तीय मोर्चे पर प्राप्त सकारात्मक नतीजे मिलने से वेकोलि की टीम और बेहतर कार्य-निष्पादन के लिए प्रेरित और तैयार है।

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