नागपुर: राम मंदिर आंदोलन को विस्तार देते हुए विश्व हिंदू परिषद ने आक्रामक रुख अख़्तियार किया। 25 नवंबर को साधू-संतों के साथ तीन स्थानों पर हुंकार सभा के आयोजन के बाद अब मंदिर निर्माण के लिए जनसमर्थन जुटाने के लिए ग्रामीण भागों का लक्ष्य केंद्रित किया गया है। नागपुर में आयोजित सभा के दौरान विहिप के केंद्रीय अध्यक्ष अलोक कुमार ने देश के सभी 543 लोकसभा क्षेत्रों पर सभा के आयोजन की जानकरी दी थी। 9 दिसंबर तक होने वाले इस आयोजन के तहत प्रत्येक सांसद को विहिप द्वारा मंदिर निर्माण के लिए समर्थन की माँग की जायेगी। इसकी के साथ हर जिले के ग्रामीण भागों में जनजागरण रैली,सभा,प्रभातफेरी और अन्य आयोजनों के माध्यम से मंदिर निर्माण के पक्ष में हवा बनाने का काम किया जायेगा। दरअसल उपरी तौर पर मंदिर को लेकर आंदोलन सरकार पर दवाब बनाने के लिए दिखाई दे रहा हो लेकिन इस आंदोलन के माध्यम से संघ परिवार कांग्रेस की रणनीति को ही साध रहा है।
संघ परिवार के सूत्रों के ही अनुसार सरकार इस मुद्दे पर सकारात्मक रुख रखेगी। सरकार अपने कार्यकाल के अंतिम संसदीय सत्र में किसी पार्टी सदस्य के माध्यम से प्राईवेट बिल संसद के पटल पर रखने की तैयारी में है। लोकसभा में बहुमत होने की वजह से यह बिल पास हो जायेगा लेकिन राज्यसभा में आज भी सरकार के पास बहुमत नहीं है। ऐसी सूरत में बिल के पास होने के लिए विपक्ष का समर्थन जरुरी है। जनांदोलन के रूप में आगामी सत्र से पहले ऐसा माहौल बनाने की तैयारी है जिससे विपक्ष पर इस बिल को पास कराने का दबाव बने। मंदिर निर्माण से पहले संघ परिवार ने अपनी ओर से बीजेपी के लिए एक जबरदस्त मास्टरस्ट्रोक खेला है। जिसमे कांग्रेस फंस चुकी है। 25 नवंबर को मंच से खुद संघप्रमुख ने सोमनाथ मंदिर निर्माण का उदहारण दिया था। सोमनाथ मंदिर का निर्माण क़ानून लाकर ही कांग्रेस के शासनकाल में ही किया गया था। लेकिन तब स्थिति ऐसी नहीं थी। राम मंदिर के लंबे आंदोलन ने देश में बड़ा ध्रुवीकरण का माहौल तैयार किया है। कांग्रेस इस मुद्दे के हल के लिए अदालत पर ही अपनी निर्भरता स्पस्ट की है। संघ का इशारा साफ़ था कि अगर कांग्रेस मंदिर मुद्दे पर समर्थन नहीं करती तो प्रचार यही होगा कि कांग्रेस इसके विरोध में है। इस मुद्दे पर पहली पर सार्वजनिक तौर पर खुद प्रधानमंत्री ने पहली बार बोलते हुए कहाँ भी है कि राम मंदिर के मुद्दे को तो कांग्रेस ने लटका रखा है। देश में आम चुनाव से पहले जिस तरह से राम मंदिर के मुद्दे को बड़ा बनाया जा रहा है उससे साफ़ है कि विकास का मुद्दा नगण्य होकर राम मंदिर मुद्दा हावी रहेगा। देखना दिलचस्प होगा कि इस मुद्दे पर कांग्रेस की राजनीति किस दिशा में बढ़ेगी और जनता इसे कैसे लेगी।