नागपुर: मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का ड्रीम प्रोजेक्ट घोषणा के साथ से ही विवादों में घिरा रहा। पहले विपक्ष इसका विरोध कर रहे थे अब भ्रस्टाचार के लगे दाग ने इसे विवादों में ला खड़ा कर दिया है। इस प्रोजेक्ट के मुखिया राधेश्याम मापोलवार के सामने आये टेप के बाद सरकार ने उन्हें निलंबित कर दिया है। मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट का प्रारूप तय करने से लेकर इसके क्रियान्वयन की जिम्मेदारी राधेश्याम मापोलवार के कंधे पर ही थी। उन पर हुई कार्रवाई के बाद अब चौकाने वाली जानकारी सामने आयी है जिसके मुताबिक राधेश्याम मापोलवार के ख़िलाफ़ प्राप्त शिकायतों प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार को जाँच करने के लिए कहाँ था।
नागपुर से मुंबई के बीच बनने वाला समृद्धि महामार्ग विदर्भ के मायने में काफ़ी अहम है। खुद मुख्यमंत्री इस प्रोजेक्ट की खूबियां गिनाते हुए कई बार बता चुके है की किस तरह इस मार्ग के बन जाने की वजह से विदर्भ का कायाकल्प हो जाएगा। बीते कुछ दिनों पूर्व ही नागपुर में इस महामार्ग के लिए विदर्भ में किसानों की ज़मीन का अधिग्रहण कार्य प्रारंभ हुआ है। कई किसानों को एमएसआरडीसी मंत्री एकनाथ शिंदे के हाँथो अधिग्रहित ज़मीन का मुआवजा सौपा गया। पर अब राधेश्याम मापोलवार के निलंबन के बाद से सवाल उठ रहे है की कही इसका असर इस प्रोजेक्ट पर न पड़े।
सवाल अहम यह भी है की क्या यह प्रोजेक्ट अपने तय समय पर पूरा हो पायेगा। हमारे देश में सरकारों के बदलते ही बीती सरकारों के प्रोजेक्ट का क्या हश्र होता है यह किसी से छुपा नहीं है। मुख्यमंत्री विदर्भ के है इसलिए उनका अपने इलाके के विजन का लक्ष्य है। देश की आर्थिक राजधानी ने व्यापारिक दृस्टि से जुड़ाव के निश्चित ही विदर्भ का कायाकल्प हो जाएगा। इसलिए मुख्यमंत्री की भी सोच है की उनके कार्यकाल के दौरान ही वह अपने ड्रीम प्रोजेक्ट का लगभग काम पूरा कर ले। सीएम की सोच भले ही विदर्भ के लिए फायदेमंद हो लेकिन समृद्धि महामार्ग प्रोजेक्ट से जुड़े प्रमुख अधिकारी के निलंबन के बाद इस प्रोजेक्ट पर पड़ने वाले असर की भी चर्चाएं होने लगी है।