Published On : Thu, Aug 16th, 2018

जब अटल जी ने सुरक्षा रक्षकों से कहाँ अरे भाई हट जाओ मुझे मेरी बिटिया से मिलना है

Advertisement

नागपुर: देश की राजनीति के शिखर पुरुष,जनकवि और अपने व्यक्तित्व से वैचारिक विरोधियो को भी अपना मुरीद बना लेने वाले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी रिश्तों को निभाने में माहिर रहे है। संघ के विचारों को जीवन पर जपने वाले वाजपेयी का संघभूमि नागपुर से अटूट नाता था। इस शहर में बने रिश्ते को उन्होंने ताउम्र निभाया। महाराष्ट्र जनसंघ के अध्यक्ष सुंदरलाल राय की 21 जून 1986 में हुई मृत्यु के बाद वाजपेयी उनके अंतिम संस्कार में शामिल होने नागपुर पहुँचे। वो रायजी के घर में ही रहे। इसके बाद वो शहर में जब भी उनका दौरा और कुछ दिन रुकने का कार्यक्रम होता वो उन्ही के घर में रुकते। अपने राजनीतिक साथी के जाने के बाद उन्होंने ताउम्र मित्र के परिवार के पालक की भूमिका निभाई।

सुंदरलाल राय की भतीजी और पूर्व राज्यपाल रजनी राय की बेटी रूपा राय वर्त्तमान में नागपुर महानगर पालिका में नगरसेविका है। वाजपेयी के व्यक्तित्व पर अपनी भावनाये व्यक्त करते हुए रूपा कहती है। वो हमेशा हमारे लिए पालक रहे है। उन्होंने याद करते हुए बताया की वाजपेयी के पहली बार प्रधानमंत्री बनने का ऐलान होने के बाद वो उनसे दिल्ली स्थित आवास में मिलने पहुँची। जहाँ उनके प्रशंसको,कार्यकर्ताओं और सुरक्षा रक्षकों ने उन्हें घेरे रखा था। भारी भीड़ में उन्होंने उन्हें देखा वो ख़ुद पास आये बोले बिटिया वहाँ क्यूँ खड़ी हो पास आओ। रूपा ने ज़वाब दिया आप के सुरक्षा रक्षक आने नहीं दे रहे। इतना सुनकर वाजपेयी ने सुरक्षा रक्षकों से कहाँ कहाँ अरे भाई हट जाओ मुझे मेरी बिटिया से मिलना है। वो रूपा के पास आये उन्होंने रूपा को गले लगाया प्रधानमंत्री बनने की बधाई दी। इसके बाद जब वो प्रधानमंत्री थे तब भी उन्होंने राय परिवार को बाकायदा भोजन पर आमंत्रित किया था।

Gold Rate
Friday 07March 2025
Gold 24 KT 86,300 /-
Gold 22 KT 80,300 /-
Silver / Kg 97,700 /-
Platinum 44,000 /-
Recommended rate for Nagpur sarafa Making charges minimum 13% and above

रूपा बताती है वाजपेयी में गुरुर किंचित भर भी नहीं था। वो जब उनके यहाँ रुकते ख़ुद अपने पसंद के खाने की फ़रमाईश करते। नॉनवेज के शौकीन वाजपेयी ख़ुद कहते आज ये बनाओ। उन्होंने कभी ऐसा न तो कभी ख़ुद महसूस किया और होने दिया की वो मेहमान है। हंसी मज़ाक करना,फिल्मे देखना,गाने सुनना उनका शौक था। शहर में मौजूदगी के वक्त उन्हें अगर कही कवी सम्मेलन या नाटक के मंचन की भनक भी लग जाये तो आमंत्रण,निमंत्रण की सीमा को लाँघ कर वो ख़ुद उसे सुनने देखने पहुँच जाते।

Advertisement