– संपत्ति कर विभाग की दोहरी नीति से नागरिक हलाकान
नागपुर – चार साल पहले लाखों संपत्तियों का गलत तरीके से सर्वे कर नागरिकों पर भारी टैक्स का बोझ थोपने वाली कंपनी साइबरटेक ने फिर से घोटालों का सिलसिला जारी रखा है. कई नागरिकों के भुगतानों से अधिक शुल्क लिया गया है और गलत तरीके से तैयार किया गया है। नतीजतन, संपत्ति के मालिकों को करों को कम करने के साथ-साथ गलत भुगतान के लिए सुनवाई के साथ आगे बढ़ने की संभावना है।
अत: समय पर एकत्रित सम्पत्ति कर एक-दो वर्ष की विलम्ब से मनपा के खजाने में जमा करा दिया जायेगा।देखा जा रहा है कि साइबरटेक की गलती से एक तरह से मनपा के खजाने पर असर पड़ेगा। माना जाता है कि यह कंपनी सत्तधारी पक्ष से जुड़े एक छुटभैय्या नेता की हैं ?
शहर की कुल संपत्ति के सर्वे का जिम्मा चार साल पहले ‘साइबर टेक कंपनी’ को दिया गया था। इस कंपनी ने कई लोगों के घरों का अंदाजन मूल्यांकन किया था. बिना किराएदार वाले घरों के सर्वे में किरायेदारों की उपस्थिति दर्ज की गई थी.
नतीजतन, नागरिकों को भारी संपत्ति कर का डिमांड थमाया गया था,आम करदाता सकते में आ गए थे. इससे शहर के करदाता काफी क्षुब्ध हो गए थे,आक्रोशित जनता में मनपा प्रशासन पर नाना प्रकार के आरोप लगाए थे.
इतना ही नहीं मनपा नगरसेवकों ने भी आमसभा में सायबर तक के खिलाफ आवाज जनहित में आवाज बुलंद की थी और कंपनी का ठेका रद्द करने की मांग की.
इसके बाद तुकाराम मुंडे के आयुक्त के रूप में आने के बाद मनपा में इस कंपनी का कोई भी व्यक्ति नजर नहीं आया। अब फिर मनपा ने इस कंपनी को जिम्मेदारी सौंप दी है.लेकिन कंपनी ने चार साल पहले के घोटालों की एक श्रृंखला को कायम रखते हुए बोगस डिमांड जारी किया था ,जिसके कारण नागरिकों की शिकायतें हैं कि कई को अधिक टैक्स भेजा गया है।
टैक्स ज्यादा होने की स्थिति में इसे चुनौती देने और ऐसे मामलों को सुनवाई के लिए लाने का नियम है। इसलिए, समय पर कर का भुगतान करने वाले नागरिक भी इन भुगतानों को चुनौती देने से सुनवाई में आनाकानी के कारण मनपा खजाने पर गंभीर असर पड़ा.
मनपा द्वारा भेजे गए डिमांड पर मकान मालिक का नाम, मकान का नंबर, घर का पता आदि दर्ज होने की उम्मीद थी। लेकिन कई करदाताओं की डिमांड पर घर का पता, मकान का नंबर, पड़ोस का नाम आदि गायब हैं. दिलचस्प बात यह है कि चूंकि मनपा संपत्ति कर विभाग के अधिकारियों ने भी इस पर हस्ताक्षर किए हैं, ऐसे में देखा जा रहा है कि अधिकारी साइबरटेक की गलती को बढ़ावा भी दे रहे हैं. अब सवाल खड़ा हो गया है कि साइबरटेक की गलतियों को अधिकारी क्यों संरक्षण दे रहे हैं।
संपत्ति कर भुगतान नागरिकों को समय पर नहीं जमा करवाने पर उन्हें अतिरिक्त विलम्ब शुल्क भरना पड़ता हैं.जिससे नागरिक और रोष में आ गए हैं.
उल्लेखनीय यह है कि आशी नगर जोन की कुछ संपत्ति ऐसी है खासकर बिल्डिंग जिनके कुछ नियमित करदाताओं से वर्ष 2007 से कर वसूला गया और जिन्होंने आजतक नहीं भरा,उनसे पिछले 6 साल का कर भरने की डिमांड दी गई,उनमें से भी अधिकांश ने आजतक कोई कार्रवाई नहीं की,जबकि अन्यत्र जगह जप्ती की कार्रवाई शुरू हैं,अर्थात संपत्ति कर विभाग चेहरा देख काम कर रहा और मनपा खजाने को चुना लगा रहे और प्रशासन मूक प्रदर्शन कर उन्हें संरक्षण दे रहा.