Published On : Wed, Apr 9th, 2025
By Nagpur Today Nagpur News

क्या सरकारी मेडिकल कालेज के अनुसार देंगे स्टाइफंड

25 तक जवाब दायर करेगी सरकार, हाई कोर्ट को किया आश्वस्त
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नागपुर. निजी गैर-सहायता प्राप्त मेडिकल इंस्टीट्यूशन में इंटरर्नशिप के दौरान छात्रवृत्ति की असमानता को लेकर हाई कोर्ट में आयुष पावडे और अन्य 12 छात्रों की ओर से याचिका दायर की गई. याचिका पर सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने कहा कि मूल रूप से याचिकाकर्ता छात्र भी सरकारी मेडिकल कालेज में दाखिला लेने के हकदार थे.

ऐसे में क्या सरकारी मेडिकल कालेज की तुलना में इन याचिकाकर्ताओं स्टाइफंड दिया जाएगा?. इस संदर्भ में 25 अप्रैल तक जवाब दायर करने का आश्वासन राज्य सरकार की ओर से दिया गया. जिसके बाद हाई कोर्ट ने सुनवाई स्थगित कर दी. याचिका में बताया गया कि कुछ संस्थानों में जहां यह 11 हजार रु. प्रति माह है, वहीं एन.के.पी. सालवे इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साईंस एंड लता मंगेशकर अस्पताल में केवल 4 हजार है.

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अत: राज्य सरकार की ओर से 27 फरवरी 2024 को जारी अधिसूचना के अनुसार मेडिकल, डेंटल, आयुर्वेद, युनानी और होमियोपैथी को लेकर दिए गए आदेशों के अनुसार 18 हजार रु. का भुगतान करने के आदेश देने का अनुरोध कोर्ट से किया गया. कालेज की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने कहा कि सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों (एसईबीसी) श्रेणी में याचिकाकर्ताओं को प्रवेश दिया गया है. जिनकी फीस राज्य द्वारा दी जा रही है. जिसमें उन्हें दिया जाने वाला स्टाइफंड भी शामिल है.

इन सभी छात्रों को मूल रूप से सरकारी मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश मिल गया होता, लेकिन एसईबीसी आरक्षण के कार्यान्वयन, सरकारी मेडिकल कॉलेजों में आरक्षण की उक्त श्रेणी से संबंधित उम्मीदवारों को समायोजित करने के लिए वर्तमान याचिकाकर्ताओं को निजी मेडिकल कॉलेजों में स्थानांतरित कर दिया गया. इस स्थानांतरण के कारण छात्रों की फीस राज्य द्वारा भुगतान की जा रही है. कोर्ट ने कहा कि अभी तक याचिकाकर्ताओं को 4,000 रुपये का स्टाइफंड मिल रहा है.

जिसका भुगतान कालेज को इस महीने के दौरान करना सुनिश्चित करना होगा. जहां तक अन्य छात्रों का सवाल है, चूंकि फीस विनियामक प्राधिकरण द्वारा निर्धारित फीस उन्हें ही वहन करनी है, जिसमें उन्हें दिया जाने वाला स्टाइफंड भी शामिल है, इसलिए सरकारी संस्थानों में नामांकित छात्रों के बराबर लाने से केवल यह होगा कि छात्र खुद ही बढ़े हुए स्टाइफंड के लिए योगदान देंगे. यह छात्रों से पैसे लेकर उन्हें स्टाइफंड के रूप में एक पैकेट देने के समान है. जिसके कारण किसी भी प्रकार के कोटे के अलावा, जिन छात्रों को प्रवेश दिया गया है, उन्हें इस उद्देश्य के लिए समान नहीं माना जा सकता है.

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