– बिजली की कालाबाजारी और कोयला की तस्करी बरकरार
नागपुर: कोयला संकट को लेकर लगातार आ रही रिपोर्टों के बीच केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को चेतावनी देते हुए कहा है कि वे खुले बाज़ारों में बिजली न बेचेंl केंद्र सरकार की ओर से कहा गया है कि अगर बढ़ती हुई क़ीमतों का राज्यों ने फ़ायदा उठाने की कोशिश की तो केंद्र की तरफ़ से की जाने वाली बिजली आपूर्ति में कटौती की जाएगी.
सरकार की तरफ़ से ये बयान ऐसे समय में आया है जब भारत के कम होते जा रहे कोयला स्टॉक को लेकर चेतावनी जारी की जा रही है. इसका असर कोयले से चलने वाले पावर प्लांट पर पड़ने की आशंका जताई जा रही है.
कुछ राज्यों में कई घंटों की बिजली कटौती शुरू हो गई और कोयले की किल्लत के कारण उन्हें इस संकट का सामना करना पड़ रहा है. एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था व्यापक स्तर पर ऊर्जा संकट का सामना कर रही है.
दुनिया भर में बिजली की कीमत अचानक से बढ़ी है और इस बीच भारत में कोयले से चलने वाले पावर प्लांट में कोल स्टॉक कम हो गया है. भारत में बिजली के उत्पादन का तकरीबन 70 फ़ीसदी हिस्सा कोयले से चलने वाले पावर प्लांट से आता हैlपरंतु विगत मार्च 2020 से अगस्त 2021
इस समयावधि मे कोल इंडिया लिमिटेड की सभी अनुसांगिक सहायक कंपनियों की सैंकडों कोयल खदानों का उत्पादन ठप रहने की वजह से कोयला का स्टाक समाप्त हो गया,नतीजतन देश के सभी थर्मल पावर प्लांटों को मांगोनुरुप कोयला उपलब्ध नही हो पावर रहा है?वर्तमान मे देश के सभी पावर प्लांटों मे मात्र एक सप्ताह का भी कोयला उपलब्ध नही हो रहा हैl परिणामतः विदेशों से मेंहगा कोयला मगाना पड रहा हैl कोयला के विना अगर पावर प्लांट बंद पडे तो शासन तथा जनता जनार्दन के सकल घरेलु कामकाज से लेकर कल-कारखाने बन्द पड सकते है?
सब नतीजतन राज्य तथा केन्द्र सरकार का दिवाला निकल सकता है?
इसका बुरा असर देश की जनता पर ही पडने वाला है?इसके बावजूद भी शहरी तथा ग्रामीण इलाकों मे बिजली की कालाबाजारी शुरु है?इसी तरह कोल फिल्ड्स लिमिटेड की कोयला खदानों का अवैध खून तथा कोयला यार्डों से कोयला की तस्करी और स्मगलिंग चरम पर है!