Published On : Mon, Feb 23rd, 2015

अमरावती : कलेक्ट्रेट पर चढ़ी महिलाएं

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देशी शराब दूकान हटाने धावा बोला

23 daru bandi
अमरावती। माया नगर में देशी शराब दूकान बंद कराने को लेकर आक्रमक हुई महिलाओं ने सोमवार को कलेक्ट्रेट में जमकर हंगामा मचाया. प्रवेश व्दार तोडक़र भीतर घुसी महिलाओं ने इमारत की छत पर जाकर नारे बाजी की. इतना ही नहीं बल्कि देशी शराब की बोतले जिलाधिश कार्यालय परिसर में चकनाचुर की. जिससे हरकत में आयी पुलिस की कोशिश भी नाकाम रही. महिलाओं ने प्रशासन की एक नहीं चलने दी परिणामत: अप्पर जिलाधिकारी किशोर कामुने ने भी छत पर चढक़र महिलाओं से चर्चा की.

शराब की बोतलें फोड़ी
दूकान के कारण युवा पिढी के साथ 15 वर्षिय बच्चों को भी शराब की लत लगने का आरोप लगाते हुए महिलाओं ने कार्यालय के मुख्य गेट के सामने ही नारेबाजी शुरु कर दी. जिससे आधा दर्जन से अधिक पुलिस कर्मचारियों ने उन्हें भीतर जाने से मना कर दिया. पुलिस प्रशासन के दबाव से बौखलाई महिलाएं गेट पर चढऩे से नहीं कतराई. दौरान पुलिस और महिलाओं में कहा सुनी भी हुई बावजूद इसके गेट तोडक़र महिलाएं दौडते हुए जिलाधिकारी के कक्ष की और दौडी. जिलाधिकारी को अनुपस्थित देखकर महिलाओं ने जिलाधिकारी कार्यालय की इमारत पर चढकर नारेबाजी करना शुरु कर दिया. परिणामत: तत्काल गाडगेनगर पुलिस थाने के थानेदार के.एम.पुंडकर और पुलिस अधिकारी कलेक्ट्रेट पर पहुंचे. पुलिस को देख महिलाओं ने उपर से शराब की बोतले फोडना शुरु कर दिया.

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कामुने, पुंडकर भी चढे ऊपर
आंदोलनकारी महिलाओं के संतप्त तेवर को देखते हुए अप्पर जिलाधिकारी किशोर कामुने, थानेदार पुंडकर और महिला पुलिस अधिकारियों ने महिलाओं को समझाकर चर्चा के लिए निचे बुलाया. दौरान पुरुष आंदोलनकर्ताओं व्दारा नारेबाजी शुरु हो जाने से पुलिस ने बल प्रयोग कर पुरुष आंदोलनकर्ताओं से हाथापाई कर परिसर से भगाया. महिलाओं को भी धमकाने में पुंडकर पीछे नहीं हटे. संतप्त मोड ले रहे आंदोलन की गंभीरता को देखते हुए डीसीपी सोमनाथ घार्गे समेत 3 अर्टिका वैन जिलाधिकारी कार्यालय पहुंची. जिलाधिकारी बैठक में व्यस्त रहने से डीसीपी घार्गे ने महिलाओं को समझाने का प्रयास किया.

अंतत: जिलाधिकारी ने दिया सुझाव
-लेकिन महिलाएं जिलाधिकारी से ही चर्चा करने पर अडी रही. जिसके कारण जिलाधिकारी किरण गित्ते बैठक छोडक़र महिलाओं से चर्चा करने के लिए पहुंचे. जिलाधिकारी को महिलाओं ने व्यथा सुनाई. जिससे उन्होंने इस आंदोलन को उग्र न बनाते हुए वोटिंग का सहारा लेने का सुझाव दिया. इस आंदोलन में शालीनी कलसकर, रंजना डोंगरे, कल्पना वाघोरे, तुलसाबाई विरुध्द, बबीता येरोने, महानंदा सरोदे, लक्ष्मी पोजे, पद्मा पोजे, रंजना डोंगरे, लक्ष्मी पांडे, शालीनी कलसकर, सुमीत्रा चांदूरकर, करुणा नरसेकर, रेखा हीरपुरकर, शोभा गोचीडे, दुर्गा बंड, गीरजाबाई माने, रत्ना सुळे, इंदिरा रामटेके, तुलसाबाई वेरुलकर, अरुणा पाल, पंचफुला शेंडे, सुमीत्रा सोनोने, कल्पना आत्राम, मंदा डाफे, विद्या डोंगरे, प्रेमिला काले, ललिता आत्राम, शोभा उज्जवकर के साथ सैकडों महिलाएं शामिल हुई.

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