Published On : Sat, Nov 2nd, 2024
By Nagpur Today Nagpur News

सड़क दुर्घटना में घायल 19 वर्षीय वेदांत तिवारी का घुटना बचाया गया

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वेदांत तिवारी, 19 वर्षीय खिलाड़ी, को एक ऐसी घटना का सामना करना पड़ा जो जीवन बदल देने वाली थीI वे एक सड़क दुर्घटना में घायल हो गए, जिसमें उनका दाहिना घुटना अपनी जगह से खिसक गया। चोट इतनी गंभीर थी कि पैर में खून का प्रवाह रुक गया और घाव से हड्डी दिखाई दे रही थी, जिससे उनके पैर को काटने और गंभीर संक्रमण का खतरा था।

डॉ. नीलेश अग्रवाल, निदेशक और प्रमुख न्यूरोसर्जन,न्यूएरा अस्पताल में, तिवारी का इलाज करने के लिए डॉक्टरों की एक समर्पित टीम नियुक्त कीIडॉ. पियुष नाशिककर, एक प्रसिद्ध ऑर्थोपेडिक और स्पोर्ट्स मेडिसिन सर्जन टीम का नेतृत्व कर रहे थे। तत्काल और सटीक कार्रवाई की गई। शुरुआती सर्जरी का उद्देश्य वेदांत के पैर में रक्त प्रवाह को शुरू करना और संक्रमण को रोकना था।इन सर्जरी के दौरान PCL लिगामेंट और मेनिस्कस (घुटने का कुशन) को भी ठीक किया गया। डॉ. नाशिककर ने उपचार के चुनौती पूर्ण क्रम के बारे में बताते हुआ कहा, “पैर को बचाने और संक्रमण को रोकने के बाद, हमारा ध्यान घुटने को कार्यक्ष्यम बनाने पर केन्द्रित हुआ ”

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डॉ. नाशिककर बताते है, ” वेदांत के घुटने से हड्डी का एक बड़ा हिस्सा गायब था और तीन महत्वपूर्ण लिगामेंट्स (नामतःACL, PCL, MCL) फट गए थेI घुटने का जोड़ चार हड्डियों के सिरों से बनता है। जिसमें फीमर (जांघ की हड्डी), पटेला (घुटने की टोपी), टिबिया और फिबुला (पैर की हड्डियाँ) शामिल है। वेदांत के मामले में फीमर हड्डी का आंतरिक भाग (मीडियल फेमोरल कोंडाइल) गायब था। यह हड्डी आर्टिकुलर कार्टिलेज (घुटने की पॉलिश) से ढकी होती है। घुटने की पॉलिश जब खराब हो जाती है, तो दर्दनाक आर्थराइटिस (वात रोग) शुरू हो जाता है।”

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वेदांत की स्थिति के बारे में उनसे और रिश्तेदारों से विस्तार से चर्चा की गई। सभी संभावित समाधानों पर चर्चा की गई। घुटने की हड्डी और कार्टिलेज के गायब हिस्से को फिर से बनाना मुख्य चुनौती थी, जिसके बिना वेदांत कभी चल नहीं पाता। घुटने के शारीरिक आकार को वापस पाने के लिए हड्डी और आर्टिकुलर कार्टिलेज प्रत्यारोपण सबसे अच्छा संभव समाधान था। मेडिकलकी भाषा में इस आपरेशन को ओस्टियोकॉन्ड्रल एलोग्राफ़्ट ट्रांसप्लांट (ओस्टियो माने हड्डी, कॉन्ड्रलमाने पॉलिश, एलोग्राफ़्ट माने कैडवर/ शव से लिया हुआ, ट्रांसप्लांट माने प्रत्यारोपण) कहा जाता है।

वेदांत और उनके परिवार ने ओस्टियोकॉन्ड्रल एलोग्राफ़्ट ट्रांसप्लांट सर्जरी का विकल्प चुना। भारत में पहली बार की गई इस सर्जरी में घुटने की क्षतिग्रस्त हड्डी और पॉलिश को डोनर के बेहतर हड्डी और पॉलिशसे बदला जाता है। तिवारी की चोटों की गंभीरता को देखते हुए, एक उचित आकार के मीडियल फेमोरल कॉन्डाइल ओस्टियोकॉन्ड्रल एलोग्राफ़्ट हासिल करना एक कठिन काम था। दुनिया भर के ज्ञात केंद्रों को पूछताछ भेजी गई । लगभग 3 महीने के निरंतर प्रयासों के बाद टीम को उचित आकार का ताज़ा एलोग्राफ्ट प्राप्त करने में सफलता मिली और 11 अप्रैल 2024 को ऑपरेशन सफलता पूर्वक किया गया।

प्रत्यारोपित हड्डी के जुड़ जाने के बाद, ACL और MCL लिगामेंट का पुनर्निर्माण ऑपरेशन किया गया। निदेशक डॉ. आनंद संचेती बताते है, “न्यूएरा अस्पताल में डॉ. नाशिककर नियमित रूप से आर्थोस्कोपिक लिगामेंट ऑपरेशन (दूरबीन के माध्यम से) करते हैं, लेकिन हमारी जानकारी के अनुसार दुनिया में प्रत्यारोपित हड्डी पर लिगामेंट (MCL) पुनर्निर्माण सर्जरी दुनिया में पहली बार की गई है।”