यवतमाल। पूरी सूर्यमाला में आकर्षक दिखनेवाला शनि ग्रह 23 मई को सुरज के सामने आनेवाला है. इस दिन शनि, पृथ्वी और सुरज सिधे एक रेषा में दिखाई देंगे. जिससे इस दिन पृथ्वी पर से दिखनेवाला पूरा हिस्सा प्रकाशमान रहेंगा. इसे खगोलिय भाषा में शनि ग्रह की पौर्णिमा कहा जाता है. इस दिन पृथ्वी का शनिग्रह से दूरी अत्यल्प याने 1.34 अरब कि.मी. रहेंगी. जिससे उसकी तेजस्विता भी ज्यादा रहेंगी. जिससे खगोल विशेषज्ञों को इस घटना का अभ्यास करने का और दूर्बिन से फोटो लेने का सुवर्ण अवसर मिल रहा है.
शनि अपनी सूर्यमाला में 6 वें स्थान पर है, वह पूरी तरह वायु से बना हुआ है. इस शनि के ईदगिर्द कंकणाकृति ऐसा गोल दिखाई देता है. इस गोल में बर्फ, धूल, वायु और खनिज का समावेश है. यह ग्रह सुरज से 1 अरब 42 करोड़ 70 लाख कि.मी. दूर है. सुरज का एक चक्कर लगाने के लिए इस ग्रह को 29.46 वर्ष लग जाते है. विशेषज्ञों ने इस ग्रह के कुल 61 चांद ढूंढे है. उसमें सबसे बड़े चांद का नाम टाईटन है. यह ग्रह विशिष्ट हालात में साधे दुर्बिन से भी दिखाई देता है. शनिग्रह कितना भी आकर्षक और मनमोहक हों तो भी समाज में कई विरोधाभासी बातें फैली हुई है, इन्सान को यही ग्रह साडेसाती लगाता है, ऐसा बोलकर भविष्य या फलज्योतिष्य वाले लोग डराकर अपना उल्लू सिधा करते है. वैसे देखा जाए तो आकाश के ग्रहों को इन्सान से क्या लेना देना? ग्रह गोल र्निजीव स्वरूप के होते है और करोड़ों कि.मी. दूर होने से उसका मानव जीवन या उसके व्यवहार पर नहीं होता है. इसलिए हर व्यक्ति सभी आकाश के ग्रहों का निरीक्षण कर हकीकत समझे. फिलहाल शनि यह वृश्चिक राशि में पहुंचा है.
शाम को पश्चिम में सुर्यास्त होने के बाद पूर्व क्षितिज पर उसका आगमन होता है. फिलहाल वह सुरज के विपरीत दिशा में रातभर आकाश में दिखाई देता है. इसलिए इस घटना का आनंद उठाते हुए शनिग्रह के जो भी विरोधाभास फैले है, उसे निकाल फेंके ऐसा आवाह्न स्कॉय वॉच ग्रुप के अध्यक्ष रविंद्र खराबे, राम जयस्वाल, प्रमोद जिरापुरे, प्रशांत भगत, देवेंद्र पांडे, उमेश शेंबाडे, भूषण ब्राम्हणे, जयंत कर्णीक, पूजा रेकलवार एवं मानसी फेंडर ने किया है.