-वर्धा जिला परिषद के बाद नागपुर में ऐसा प्रयोग शुरू किया जा रहा
नागपुर – जिला परिषद के कई मामले कोर्ट में गए.इससे प्रशासन का काफी समय बर्बाद होता हैं साथ में आर्थिक नुकसान भी सहन करना पड़ता हैं.भविष्य में न्यायालयीन प्रक्रिया वक़्त में निपटारा हो,इसलिए पहली बार न्यायालय में लंबित और नए दायर मामलों को निर्धारित समय के भीतर निपटाने के लिए ‘कानूनी लेखा परीक्षा'(LEGAL AUDIT) कराने का निर्णय लिया गया है। वर्धा जिला परिषद के बाद नागपुर में ऐसा प्रयोग शुरू किया गया है।
हाल ही में नागपुर जिलापरिषद प्रशासन द्वारा कोर्ट के मामलों की समीक्षा की गई है। जिला परिषद के दस विभागों की अदालतों में वर्षों से लंबित मुकदमों के आंकड़े चिंताजनक हैं, करीब 301 मामले लंबित हैं।
यह देखा गया कि इनमें से कुछ मामले अदालत में उचित तर्क की कमी के कारण लंबित थे। इन मामलों में प्रशासन को सबसे अधिक समय लगता है। कई बार वरिष्ठ अधिकारियों को उपस्थित होना पड़ता है। प्रशासन पर इस बोझ को कम करने के लिए सभी मामलों का कानूनी ऑडिट करने का निर्णय लिया गया।
यह कार्य सरकार के कानूनी पैनल के न्यायाधीशों और वकीलों की संस्था को सौंपा गया है। वर्धा जिला परिषद में अधिकांश अदालती मामलों का निपटारा इसी संस्था द्वारा किया गया है। राज्य में यह दूसरा प्रयोग होने जा रहा है। उन्हें कुल 98 मामले सौंपे गए।
समिति के पास मामले : दुर्लभ और असाधारण पृष्ठभूमि,जिला परिषद का वित्तीय नुकसान,जब परिणाम अपेक्षित हो तब विरोध के रूप में,अधिक जटिलताओं वाले मामले
विचाराधीन मामलों की संख्या : पंचायत विभाग के 70,शिक्षा विभाग के 70,स्वास्थ्य विभाग के 68,निर्माण विभाग के 33,सिंचाई विभाग के 24,सामान्य प्रशासन विभाग के 18,ग्रामीण जल आपूर्ति विभाग के 10,महिला एवं बाल कल्याण विभाग के 04 प्रकरणों का समावेश हैं.
जिला पंचायत के अपर मुख्य कार्यपालन अधिकारी डॉ. कमल किशोर फूटाने के अनुसार कोर्ट में प्रशासन का समय बर्बाद न हो। इसलिए, इन मामलों को कानूनी लेखा परीक्षा समिति को भेजा गया है। यह सरकारी योजनाओं और नीतियों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए महत्वपूर्ण होगा।