– सलाहकार द्वारा करीबी ठेकेदारों में बांटे गए काम,जिनके काम पूर्ण सभी सकते में
नागपुर – नागपुर जिला परिषद में एक पूर्व मंत्री द्वारा नियुक्त सलाहकारों को भी सरकार बदलने के बाद बर्खास्त कर दिया गया है. नतीजा यह रहा कि सलाहकारों द्वारा नियुक्त ठेकेदारों की हालत न घर के और न घाट की जैसी हो गई है।
नागपुर जिलापरिषद में पूर्व पशुपालन मंत्री सुनील केदार का गुट सबसे बड़ा और सत्ता में था,इसलिए उनके इशारे पर ही फाइल तैयार होती और दौड़ाई जाती थी।
इसलिए भाजपा और राकांपा सदस्यों में असंतोष है।
जिलापरिषद के पशुपालन विभाग के काम की देखरेख के लिए सलाहकार नियुक्त किए गए थे। करीब ढाई साल से पशुपालन विभाग सम्बंधित मंत्री के मनमाफिक सुचारू रूप से चल रहा था।इस दौरान किसी की बोलने की हिम्मत नहीं होती थी।अधिकारी भी उक्त पूर्व मंत्री के निर्देशों का पालन करते थे। अब राज्य में सरकार बदल गई,महाविकास आघाड़ी सरकार गिर गई। केदार के मंत्रालय छोड़ते ही उनके सलाहकारों को भी बर्खास्त कर दिया गया है।
सलाहकारों के हस्तक्षेप से इस विभाग में असंतोष था। कोई भी विभाग में नेतृत्व करने को तैयार नहीं था क्योंकि वह सलाहकार के व्यवहार से तंग आ चुका था। साल भर में पांच से सात अधिकारी बदले गए। इस मामले को लेकर आमसभा में काफी हंगामा भी हुआ था। हालांकि, पशुपालन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों ने उनके खिलाफ एक साधारण विरोध भी नहीं दिखाया। अब उनकी कुर्सियों, मेजों और अन्य सामानों को कमरे से बाहर निकाल दिया गया।एक आदेश पत्र भी जारी किया गया है जिसमें कहा गया है कि प्रशासन और सरकारी योजनाओं के मामले में उक्त मंत्री द्वारा नियुक्त सलाहकारों का कार्यालय से कोई लेना-देना नहीं है. उक्त सलाहकार के मौखिक, लिखित जानकारी या निर्देश देने या स्वीकार नहीं करने के निर्देश दिए गए।
सलाहकारों की सलाह के बाद ठेकेदार अब इस बात को लेकर चिंतित हैं कि उनके अनुबंधों का क्या होगा। मालूम हो कि ढाई साल में पशुपालन विभाग की ओर से करीब 75 करोड़ ठेके आवंटित किए जा चुके हैं।ठेकेदार वर्ग भयभीत हैं.