Published On : Mon, Jul 21st, 2014

आमगांव : छोटों को फंसा रहे, बड़ों को बचा रहे

Advertisement


गोंदिया जिला परिषद में लाखों का सौर कंदील घोटाला


प्रकल्प अधिकारियों का सवाल-किसके कहने पर बांटी गर्इं बंद कंदीलें

लाभार्थियों ने की जांच की मांग, बदलकर दी जाएं कंदीलें

संवाददाता / यशवंत मानकर

Advertisement
Wenesday Rate
Wednesday01 Jan. 2025
Gold 24 KT 76,900 /-
Gold 22 KT 71,500 /-
Silver / Kg 86,700 /-
Platinum 44,000/-
Recommended rate for Nagpur sarafa Making charges minimum 13% and above

आमगांव 


गोंदिया जिला परिषद के अंतर्गत महिला व बाल कल्याण विभाग द्वारा आदिवासी उपाययोजना, सर्वसाधारण योजना और विशेष घटक योजना के लाभार्थियों को बांटी गई बंद कंदीलों के लिए छोटे कर्मचारियों को फंसाने का कुटिल प्रयास किया जा रहा है. लाखों रुपयों के इस घोटाले को लीक करने के आरोप में प्रकल्प अधिकारियों को प्रताड़ित करना शुरू कर दिया गया है. अधिकारियों और पदाधिकारियों की मिलीभगत से हुए इस घोटाले से सरकार को लाखों की चपत लगी है.

कैसे आएगा सच सामने ?
लाभार्थियों की मांग है कि जिला परिषद द्वारा बांटी गर्इं इन बंद कंदीलों के इस मामले की निष्पक्ष जांच होना जरूरी है. जांच के बगैर सच सामने नहीं आ पाएगा. दूसरी ओर कनिष्ठ कर्मचारियों ने भी सवाल उठाया है कि आखिर किसके कहने पर इन बंद कंदीलों की आपूर्ति की गई ? इस सवाल का जवाब अब तक नहीं मिला है.

न गुणवत्ता पर ध्यान दिया, न जांच ही की
महिला और बाल कल्याण विभाग द्वारा आदिवासी उपाययोजना के तहत जिले में 9 प्रकल्पों के अंतर्गत 69 सौर कंदीलों के लिए 1 लाख 91 हजार 600 रुपए, विशेष घटक योजना के 9 प्रकल्पों के तहत 179 सौर कंदीलों के लिए 5 लाख 37 हजार और सवर्साधारण योजना के अंतर्गत 9 प्रकल्पों के तहत 114 सौर कंदीलों के लिए 4 लाख 42 हजार 320 रुपए मंजूर किए गए थे. अधिकारियों और पदाधिकारियों की मिलीभगत से मनपसंद कंपनियों को आॅर्डर दिया गया. परिणामस्वरूप आपूर्तिकर्ता कंपनियों ने भी ब्रांडेड कंदील कंपनियों को आॅर्डर देने की बजाय बाजार से ही कंदील उठाई. गुणवत्ता पर कोई ध्यान नहीं दिया गया. और न ही किसी ने इसकी जांच करना भी जरूरी समझा.

बंद कंदीलों को बदलकर देने की मांग
बंद कंदीलों को ही जिले के सभी 9 प्रकल्पों के लाभार्थियों को बांट दिया गया. जब कंदीलों के बंद होने की शिकायत लाभार्थियों ने प्रकल्प अधिकारियों से की तो उन्होंने इसकी सूचना जिला परिषद को दे दी. महिला और बाल कल्याण समिति की बैठक में प्रकल्प अधिकारियों ने मुद्दा उठाया और बंद कंदीलों को बदलकर देने की मांग की. कंदीलों का यह घोटाला धीरे-धीरे पूरे जिले में फैल गया.

मजे की बात
इस पूरे मामले में सबसे मजे की बात यह है कि न तो बंद कंदीलों को बदलकर देने के बारे में कोई विचार किया जा रहा है और न ही इस घोटाले के दोषी लोगों को कटघरे में खड़े करने के बारे में कुछ किया जा रहा है. पता यह लगाया जा रहा है कि यह पूरा घोटाला पत्रकारों तक कैसे पहुंच गया? इसके लिए प्रकल्प अधिकारियों को सूली पर चढ़ाने की कोशिश की जा रही है. उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है.

Advertisement