बारिश में विलंब ने बढ़ाई किसानों की परेशानी
उमरखेड़
पहले रोहिणी, फिर मृग और अब आद्रा. तीनों नक्षत्रों के बिना बरसे ही गुजर जाने के कारण अब तालुके पर सूखे का संकट मंडराने लगा है. मौसम विभाग द्वारा व्यक्त अनुमान के आधार पर मृग नक्षत्र में आई बारिश में ही बुआई करने वाले किसानों पर दोबारा बुआई की नौबत आ गई है. पिछले साल भी बारिश से परेशान हुआ किसान इस साल बारिश के लिए आसमान की ओर टकटकी लगाए बैठा है.
उम्मीदों पर फिरा पानी
पिछले साल मृग नक्षत्र से ही बारिश होने लगी थी. भारी बारिश ने उस वक्त भी किसानों को रुलाया था. इस साल परिस्थिति इसके ठीक उलट है. मौसम विभाग ने कहा था कि मृग नक्षत्र में बारिश होगी. इसी उम्मीद में किसानों ने कपास की बुआई कर दी. आसमान में काले बादल छाए. कुछ स्थानों पर बादल बरसे भी, मगर फिर मौसम बदला और गर्मी के दिनों जैसा आभास होने लगा. किसान ही नहीं, इस स्थिति से आम नागरिक भी परेशान हो गया है.
दिन का चैन, रातों की नींद उड़ी
अतिवृष्टि और ओलावृष्टि के साथ हुई बेमौसम बारिश के चलते खरीफ और रबी का मौसम बरबाद होने के कारण किसान गहरे आर्थिक संकट में फंसे हैं. कर्ज लेकर बुआई की गई है, मगर बारिश के दगा देने के कारण किसान भविष्य की चिंता में दोहरा हो गया है. बारिश में विलंब का परिणाम कपास की बुआई पर पड़ेगा ही. दूसरी ओर सोयाबीन का रकबा बढ़ने से व्यापारियों ने बीजों की कीमतें बढ़ा दी हैं. ऐसे में सूखे की आशंका ने किसानों का दिन का चैन और रातों की नींद उड़ा दी है.