ग्रामीण इलाकों में सक्रिय हैं अनेक निजी फाइनेंस कंपनियां
कलमेश्वर
ग्रामीण इलाकों में बचत समूहों की आड़ में निजी साहूकारी का धंधा तेजी से फल-फूल रहा है. अनेक निजी फाइनेंस कंपनियां जरूरतमंद महिलाओं को 20 से 25 प्रतिशत ब्याज दरों पर पैसा देकर निजी साहूकारी को बढ़ावा दे रही हैं, जबकि निजी साहूकारी पर पाबंदी लगी हुई
है.
निजी साहूकारी का जाल बिछा
दरअसल, महिला बचत समूहों की स्थापना साहूकारी प्रथा पर रोक की दृष्टि से ही की गई थी. तालुका में सरकार द्वारा स्थापित इन महिला बचत समूहों में से अनेक ने उल्लेखनीय काम किया है. बचत समूहों के माध्यम से स्थापित छोटे-मोटे व्यवसायों से परिस्थितियों में बदलाव भी आया है. लेकिन इन फाइनेंस कंपनियों ने निजी साहूकारी का जाल बिछा दिया है. अनेक महिलाएं इस जाल में फंस भी चुकी हैं. कर्ज की वापसी करते-करते इनकी कमर टूट जाती है.
सवाल यह है कि क्या ये कंपनियां सचमुच रजिस्टर्ड हैं? कर्ज की वसूली के लिए इन कंपनियों की अपनी व्यवस्था है. लैपटॉप से लैस और सूट-बूट पहने कंपनियों के ये प्रतिनिधि इलाके में सर के नाम से जाने जाते हैं.
काम करने का बेहतर तरीका
ये प्रतिनिधि पहले तो महिला बचत समूह तैयार करते हैं. फिर समूह की प्रमुख महिला के घर पर हफ्ते में एक बार सारी महिलाओं की बैठक ली जाती है. कुछ कागजात के आधार पर 10 से 50 हजार तक का कर्ज दिया जाता है. उसके बाद हर हफ्ते कर्ज की क़िस्त की वसूली के लिए प्रतिनिधि आते हैं. कोई महिला कर्ज की अदायगी में पिछड़ जाती है तो बचत समूह की प्रमुख पर दबाव बनाकर कर्ज की वसूली की जाती है. पिछले 5 से 10 सालों से निजी साहूकारी का यह धंधा बेधड़क जारी है. गरीबों का आधार-स्तंभ माने जानेवाले ये प्रतिनिधि महिला बचत समूहों की आड़ में साहूकारी का धंधा चला रहे हैं.
Representational Pic