काटोल की घटना, डर गए थे कर्मचारियों की भीड़ देख
काटोल
एक कर्मचारी के खिलाफ अवैध कार्रवाई के संबंध में बात करने देर रात घर पहुंचे कोई सौ-डेढ़ सौ कर्मचारियों को देख काटोल एसटी डिपो प्रमुख जे. आर. डाडू ऐसे घबराए कि घर के पीछे की दीवार फांदकर घर से भाग खड़े हुए. यह घटना 13 जून की रात 8 बजे की है. डिपो स्थित कर्मचारी संगठन के पदाधिकारियों ने यह जानकारी दी. दरअसल ये कर्मचारी एक लिपिक को अवैध रूप से निलंबित करने से नाराज थे और उनसे बातचीत करने के लिए गए थे. मगर भीतर जाने का बहाना कर डिपो प्रमुख दीवार फांद कर नौ-दो ग्यारह हो गए.
तीन माह बाद कार्रवाई पर उठाए सवाल
संगठन के सूत्रों के अनुसार स्थानीय डिपो में कार्यरत लिपिक ए. एफ. वांढरे का तबादला किसी दूसरे डिपो में कर दिया गया था. उन्हें कार्यमुक्त किया जाना जरूरी था, मगर डिपो प्रमुख ने लिपिक पर 12 जून को आरोप लगाया कि 10 मार्च 2014 को उसने गैरजिम्मेदारी से काम किया था. और इसके चलते कुछ दस्तावेज भी गायब हो गए हैं. क्यों न उसे तीन माह के लिए निलंबित कर दिया जाए?
इस पर संगठन के पदाधिकारियों का कहना था कि अगर वांढरे दोषी था तो उस पर मार्च में ही कार्रवाई होनी चाहिए थी. तीन माह बाद कार्रवाई का क्या औचित्य है? पदाधिकारियों का यह भी आरोप था कि जिन दस्तावेजों को गायब बताया जा रहा है वह दरअसल डिपो प्रमुख के पास ही हैं. संगठन के विभागीय कार्याध्यक्ष रमन मनकवडे का मानना था कि डाडु द्वारा की गई कार्रवाई अवैध है.
भीतर गए तो लौटे ही नहीं
इसी पर बातचीत करने के लिए संगठन के पदाधिकारी और कर्मचारी 13 जून की रात करीब 8 बजे उनके घर गए. उस वक्त करीब सौ-डेढ़ सौ कर्मचारी वहां पर मौजूद थे. कर्मचारियों की संख्या बढ़ती ही जा रही थी. डाडु ने भीड़ देखी तो वे डर गए और पदाधिकारियों से कहा कि कागजात उनके पास ही हैं और वे भीतर से अभी लेकर आते हैं. मगर घर के भीतर जाने के बाद डाडु जब बड़ी देर तक वापस नहीं आए तो कर्मचारियों को चिंता हुई. मगर डाडु तो घर के पीछे के दरवाजे को ताला लगाकर दीवार फांदकर भाग चुके थे. इसके बाद संगठन के पदाधिकारियों ने इसकी जानकारी मोबाइल पर विभागीय नियंत्रक घाटोले को दी. घाटोले द्वारा घटना की जांच कर सही निर्णय देने का विश्वास जताने के बाद कमर्चारी शांत हुए.
इस अवसर पर कामगार संगठन के सचिव चंद्रशेखर भंगड, अध्यक्ष रामाजी नेहारे, राजू तिजारे, अरविंद महाजन, सी. के. देशमुख, एन. एम. नेहारे, नरेंद्र राउत, राजू खंते, भगवंत माहकर आदि उपस्थित थे.