Published On : Fri, Jul 10th, 2015

मोहपा: आज भी विजय झाड़े की यादें तरोताज़ा है

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MOHAPA

मोहपा (नागपुर)
नागपुर से 40 किमी दूर मोहपा खुमारी में खेती करने वाले विजय झाड़े ने विद्युत विभाग में नौकरी करते हुए भी खेती व्यवसाय में अपना नाम रोशन किया। जिसके लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है.

नागपुर शहर के रहवासी स्व. विजय झाड़े को अच्छी खेती करने के लिए मोहपा खुमारी गांव में मान सम्मान मिला है. प्रति वर्ष खरीफ और रबी की बुवाई के समय गांव के लोग विजय झाड़े को याद करते है. विद्युत विभाग में नौकरी करने पर भी उन्होंने खेती व्यवसाय को अधिक महत्व दिया।

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नागपुर शहर से 40 किमी की दुरी पर स्थित खुमारी गांव में खेती ली. जिसके बाद लोगों के मन में कई प्रश्न उठने लगे कि, नागपुर के लोग खेती नहीं कर सकते। और ली हुई जमीन पर खेती हो पायेगी या नहीं। इन चर्चाओं को नजरअंदाज करके और मेहनत करके विजय ने खेती व्यवसाय में सफलता प्राप्त की.जिससे कई गांववासी उनकी ओर आकर्षित हो गए. साथ ही कुछ दिनों बाद एक-एक करके लोग उनसे जुड़ने लगे. खेती के संबंध में गांव के रहवासियों ने उनकी काफी सहायता की.

विजय झाड़े प्रतिदिन 40 किमी दुर की दुरी तय कर खेती करने जाते थे. ये देखकर गांववासियों को आश्चर्य होता था. क्योकि वे खुद भी अपनी खेती देखने के लिए रोज़ खेत नहीं जाते थे. कई बार उन्हें ईटीव्ही मराठी की ओर से खेती व्यवसाय के लिए पुरस्कार चुके है. और चारों ओर उनकी स्तुती हुई है. साथ ही उन्हें इनाम में उन्हें सायकल, उर्वरक और बीज भी मिले है. उन्होंने अपने खेत में तुवर, सोयाबीन, कपास, ज्वारी, हरबरा, गेहूं, अंजीर, मूंग, उड़ीद, तिल की खेती की. उन्होंने कभी इस व्यवसाय से हार नहीं मानी।खेती प्रकृति पर निर्भर होता है जिसके चलते उन्हें कई बार नुकसान भी झेलना पड़ा. सूर्यकांत वसंत डांगोरे, रामकृष्ण केचे, प्रेमराज पिलाजी केचे, तुलसीराम चर्जन, सुरेश डांगोरे इन किसानों के सामने विजय झाड़े एक आदर्श है. 2013 में उनकी मौत हुई. लेकिन मृत्यु के बाद भी वो गांव के लोगों के लिए एक आदर्श है. आज भी लोगों के मन में उनकी यादे ताज़ा है.

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