सावनेर
इन दिनों विवादित बयानों से श्रद्धालुओं की भावनाएं दुखाने का एक सिलसिला सा चल पड़ा है. पहले जगतगुरू शंकराचार्य सरस्वती ने साई बाबा के बारे में अनर्गल टिप्पणी कर लोगों की भावनाओं से खिलवाड़ की तो विदर्भवीर भी पीछे नहीं रहे. जांबुवंतराव धोटे तो एक कदम और आगे बढ़ गए. नागपुर में बाकायदा पत्र परिषद लेकर उन्होंने घोषणा कर दी कि साई बाबा ही नहीं, संत गजानन महाराज और ताजुद्दीन बाबा भी भगवान तो क्या संत भी नहीं थे. इन तीनों के मंदिर अपराधियों का अड्डा बने हुए हैं.
दोनों बयानों को लेकर देश भर में विरोध-प्रदर्शन किए जा रहे हैं. यहां भी धोटे का पुतला फूंका गया. दोनों के बयानों की सर्वत्र निंदा की जा रही है. विदर्भ की जनता को बीच मझधार में छोड़ दिल्ली दर्शन को जाने वाले धोटे आखिर किस मुंह से इस तरह के बयान दे रहे हैं. जरूरी है कि इस तरह के बयान देने से पहले नेता एक बार सोच-विचार करें और लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करना बंद करें.